कृत्रिम बारिश: जानें इसके पानी में नहाने के संभावित नुकसान
कृत्रिम बारिश क्या है?
कृत्रिम बारिश, जिसे क्लाउड सीडिंग के नाम से भी जाना जाता है, सूखे या प्रदूषण से निपटने के लिए की जाती है। इस प्रक्रिया में, विमान या रॉकेट बादलों में रासायनिक तत्व जैसे सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या पोटेशियम आयोडाइड छोड़ते हैं। ये तत्व नमी को संघनित करके वर्षा की बूँदें बनाने में मदद करते हैं।
यह प्राकृतिक दिखती है — लेकिन है नहीं
हालांकि यह बारिश प्राकृतिक लगती है, लेकिन यह पूरी तरह से प्राकृतिक नहीं है। इसमें उपयोग किए गए रसायन वर्षा के पानी में मिल जाते हैं, जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर विभिन्न प्रभाव डाल सकते हैं।
त्वचा पर प्रभाव
कृत्रिम बारिश में मौजूद सिल्वर आयोडाइड की मात्रा बहुत कम होती है, लेकिन संवेदनशील त्वचा वाले व्यक्तियों को हल्की जलन या खुजली का अनुभव हो सकता है। हालांकि, गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं अभी तक सामने नहीं आई हैं।
आँखों में जलन
यदि रासायनिक बूंदें आँखों में चली जाएँ, तो हल्की जलन या खुजली हो सकती है, जैसे कि खारे पानी के संपर्क में आने पर होता है।
बालों पर प्रभाव
विशेषज्ञों का कहना है कि कृत्रिम वर्षा में नहाने से बालों की स्थिति प्रभावित हो सकती है, जिससे वे रूखे या हल्के से झड़ सकते हैं।
साँस लेने में समस्या
हवा में छोड़े गए कण बहुत महीन होते हैं और पानी में जल्दी घुल जाते हैं। अस्थमा या एलर्जी के रोगियों को सावधान रहने की सलाह दी जाती है, लेकिन यह सामान्यतः स्वस्थ व्यक्तियों के लिए हानिरहित होता है।
पर्यावरण पर प्रभाव
ये रसायन मिट्टी और जल स्रोतों में रिस सकते हैं, और बार-बार उपयोग करने पर फसलों और जलीय जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
विशेषज्ञ क्या सलाह देते हैं
वैज्ञानिकों का मानना है कि कृत्रिम वर्षा एक उपयोगी तकनीक है, लेकिन इसके सीधे संपर्क से बचना चाहिए। यदि आप कभी ऐसी बारिश में फंस जाएं, तो तुरंत साफ पानी और साबुन से धो लें।
