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क्या आपके माता-पिता की सख्ती अब टॉक्सिक बन गई है? जानें 5 संकेत

क्या आपके माता-पिता की सख्ती अब टॉक्सिक बन गई है? जानें 5 संकेत जो बताते हैं कि आपकी पेरेंटिंग शैली आपके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। लाइफ कोच श्वेता कोठारी के अनुसार, ये संकेत आपको यह समझने में मदद करेंगे कि कब माता-पिता की सख्ती हानिकारक हो जाती है। इस लेख में हम इन संकेतों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
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क्या आपके माता-पिता की सख्ती अब टॉक्सिक बन गई है? जानें 5 संकेत

भारतीय माता-पिता की सख्ती और उसके प्रभाव


भारतीय माता-पिता का अपने बच्चों के प्रति सख्त होना एक सामान्य बात है। उनका उद्देश्य यह होता है कि बच्चे सही दिशा में बढ़ें, अच्छी शिक्षा प्राप्त करें, समय पर घर लौटें और जीवन में सफल हों। आमतौर पर, भारतीय पेरेंटिंग में प्यार और थोड़ी सख्ती का मिश्रण होता है। हालांकि, आज के बच्चों को शायद ही शारीरिक दंड का सामना करना पड़ता है, लेकिन 90 के दशक में जन्मे बच्चों को अक्सर सख्ती का सामना करना पड़ा।


कई बार, माता-पिता की सख्ती अत्यधिक हो जाती है। वे हर छोटी बात पर टोकने लगते हैं, बच्चे की भावनाओं को नजरअंदाज करते हैं या हर निर्णय में हस्तक्षेप करने की कोशिश करते हैं। जब यह सख्ती बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने लगती है, तो इसे मनोविज्ञान में टॉक्सिक पेरेंटिंग कहा जाता है।


कभी-कभी माता-पिता अनजाने में ही टॉक्सिक बन जाते हैं। इसलिए, हमने लाइफ और माइंडसेट कोच श्वेता कोठारी से बात की, जिन्होंने बताया कि कैसे आप पहचान सकते हैं कि आपके सख्त माता-पिता अब टॉक्सिक हो गए हैं।


टॉक्सिक पेरेंटिंग के 5 संकेत

1. क्या सवाल पूछे जाते हैं?


श्वेता कोठारी के अनुसार, सख्त माता-पिता नियम बनाते हैं और इसके पीछे का कारण समझाते हैं। जबकि विषैले माता-पिता चाहते हैं कि बच्चे बिना सवाल किए उनकी बात मानें। यदि आप 'क्यों?' पूछते हैं या अपनी बात रखने की कोशिश करते हैं, तो माता-पिता आपको डांटते हैं। यदि बच्चे को हर बात पर 'हां' कहना अनिवार्य हो जाता है और सवाल पूछना असभ्य माना जाता है, तो यह संकेत है कि माता-पिता विषैले हो रहे हैं।


2. क्या आपको तब प्यार मिलता है जब आप कुछ अच्छा करते हैं?


यदि माता-पिता केवल तब प्यार दिखाते हैं जब बच्चा कुछ अच्छा करता है, जैसे परीक्षा में अच्छे अंक लाना, लेकिन गलती करने पर उनसे दूरी बना लेते हैं, तो यह एक गंभीर संकेत है। इससे बच्चा यह सोचने लगता है कि प्यार एक पुरस्कार है, जो गलती करने पर छीन लिया जाता है।


3. क्या आपकी भावनाओं को हल्के में लिया जाता है?


जब बच्चा दुखी होता है या अपनी भावनाएं व्यक्त करना चाहता है, तो माता-पिता इसे 'ड्रामा' कहकर टाल देते हैं। बार-बार ऐसा होने पर बच्चा अपनी भावनाओं को व्यक्त करने से डरने लगता है, जिससे वह अंदर से परेशान और खाली महसूस करने लगता है।


4. क्या आपको सलाह कम और चिढ़ाने ज़्यादा मिलते हैं?


यदि माता-पिता बच्चे की गलतियों पर उसे डांटते हैं और उसे आलसी या निकम्मा कहते हैं, तो इससे बच्चे का आत्मविश्वास कमजोर होता है।


5. क्या इनसे आपको डर या अपराधबोध होता है?


कभी-कभी माता-पिता ऐसे वाक्य कहते हैं जो बच्चे के दिल पर गहरा असर डालते हैं। जैसे, 'अगर तुम सच में प्यार करते हो, तो ऐसा नहीं करते।' ऐसे वाक्यों से बच्चे को लगता है कि यदि वह माता-पिता की बात नहीं मानता, तो वह बुरा इंसान है।