क्या नए श्रम कानून भारत की अर्थव्यवस्था में बदलाव ला पाएंगे?
नए श्रम कानूनों का प्रभाव
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का यह स्थायी दावा है कि उसके द्वारा किए गए कार्य ऐतिहासिक हैं। उदाहरण के लिए, 2019 में चार श्रम कानूनों को लागू करते समय भी ऐसा ही दावा किया गया था। कई मीडिया समूह भी इन कानूनों को भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़े सुधार के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। पहले 1991 में लागू किए गए उदारीकरण के फैसले को सबसे बड़ा आर्थिक सुधार माना जाता था, लेकिन अब श्रम कानूनों को इस स्थान पर रखा जा रहा है। सवाल यह है कि क्या ये कानून वास्तव में अर्थव्यवस्था में वैसा बदलाव ला पाएंगे जैसा 1991 के सुधारों ने किया था? क्या इससे श्रमिकों की स्थिति में कोई सुधार होगा? संभावना कम है।
चार श्रम कानूनों की विशेषताएँ
ये चार कानून, जिनमें वेतन संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य व कार्य शर्तें संहिता शामिल हैं, कोई बड़ा बदलाव नहीं लाते। इनका मुख्य उद्देश्य 29 मौजूदा केंद्रीय कानूनों को समेटना है। दावा किया जा रहा है कि इससे उद्योगों को अनुपालन में आसानी होगी, लेकिन असली सवाल यह है कि इससे श्रमिकों को क्या लाभ होगा?
वेतन संहिता का महत्व
वेतन संहिता का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी श्रमिकों को समय पर और उचित वेतन मिले। इसमें महिलाओं को समान काम के लिए समान वेतन का प्रावधान भी है। हालांकि, यह देखना होगा कि यह कानून वास्तव में कैसे लागू होता है।
औद्योगिक संबंध संहिता की चुनौतियाँ
औद्योगिक संबंध संहिता में कर्मचारी और कंपनी के बीच संबंधों की व्याख्या की गई है। इसमें हड़ताल और विरोध प्रदर्शन के नियम भी शामिल हैं, जिनका विरोध हो रहा है।
सामाजिक सुरक्षा संहिता का उद्देश्य
सामाजिक सुरक्षा संहिता असंगठित श्रमिकों और गिग वर्कर्स के लिए आवश्यक प्रावधान करती है। इसमें कंपनियों को सामाजिक सुरक्षा फंड बनाने का निर्देश दिया गया है।
व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य व कार्य शर्तें संहिता में कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय शामिल हैं। इसमें महिलाओं के रात में काम करने का प्रावधान भी है।
कानूनों के संभावित नकारात्मक प्रभाव
हालांकि, इन कानूनों में कई ऐसे प्रावधान हैं जो श्रमिकों के हित में नहीं हैं। उदाहरण के लिए, औद्योगिक संबंध संहिता में छंटनी के नियमों को सरल बनाया गया है। इससे कंपनियों को श्रमिकों की छंटनी में आसानी होगी।
निष्कर्ष
नए श्रम कानूनों का उद्देश्य उद्योगों और निवेशकों के हितों को ध्यान में रखना है। हालांकि, इससे श्रमिकों की स्थिति में सुधार की संभावना कम है।
