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गुप्त नवरात्रि: आषाढ़ में देवी दुर्गा की गोपनीय पूजा का महत्व

गुप्त नवरात्रि, जो आषाढ़ और माघ माह में आती है, देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं की गोपनीय पूजा का समय है। 2025 में यह 26 जून से शुरू होगी। इस दौरान विशेष तिथियों और पूजा विधियों के बारे में जानें, साथ ही जानें कि कैसे इस समय में साधना और दान-पुण्य से माँ का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
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गुप्त नवरात्रि: आषाढ़ में देवी दुर्गा की गोपनीय पूजा का महत्व

गुप्त नवरात्रि का परिचय


आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। वर्ष 2025 में यह नवरात्रि जून के अंतिम सप्ताह में शुरू होगी। गुप्त नवरात्रि साल में दो बार आती है, एक बार माघ माह में और दूसरी बार आषाढ़ माह में। इस समय माता दुर्गा की दस महाविद्याओं की विशेष पूजा की जाती है, जो इसे विशेष बनाती है। यह पूजा तांत्रिक साधना और मंत्र सिद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।


गुप्त नवरात्रि की विशेषताएँ

गुप्त नवरात्रि क्या है?



  • गुप्त नवरात्रि आषाढ़ और माघ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है।

  • इस नवरात्रि को गुप्त कहा जाता है क्योंकि इसमें माँ दुर्गा की दस महाविद्याओं की विशेष पूजा होती है।

  • साल 2025 में यह नवरात्रि 26 जून से प्रारंभ होगी।


2025 में गुप्त नवरात्रि की महत्वपूर्ण तिथियाँ

2025 में आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की खास बातें



  • घटस्थापना – नवरात्रि का शुभारंभ 26 जून को सुबह 5:26 से 6:58 बजे के बीच होगा।

  • यदि कोई इस समय पूजा न कर पाए तो दोपहर के अभिजीत मुहूर्त (11:56 से 12:53 बजे तक) में भी घटस्थापना कर सकते हैं।


महाविद्याओं की पूजा

गुप्त नवरात्रि में कौन-कौन सी महाविद्याओं की पूजा होती है?



  1. काली माता

  2. तारा देवी

  3. त्रिपुर सुंदरी

  4. भुवनेश्वरी

  5. छिन्नमस्तिका

  6. त्रिपुर भैरवी

  7. धूमावती

  8. बगलामुखी

  9. मातंगी

  10. कमला देवी


इन दस महाविद्याओं की साधना से व्यक्ति को ऊर्जा, ज्ञान, कला, रूप और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


गुप्त नवरात्रि के दौरान क्या करें?

इस दौरान क्या करें?



  • दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा और देवी महात्म्य का पाठ करें।

  • सात्विक जीवन शैली का पालन करें, ध्यान और साधना करें।

  • दान-पुण्य करें ताकि माँ का आशीर्वाद प्राप्त हो।