गुरु पूर्णिमा: गुरु के प्रति आभार व्यक्त करने का पावन पर्व

गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों में मनाया जाता है। यह दिन गुरुओं को सम्मान देने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए समर्पित है। इस पर्व को पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस लेख में हम गुरु पूर्णिमा की तिथि और इसके धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व पर चर्चा करेंगे।
गुरु पूर्णिमा की तिथि
गुरु पूर्णिमा की सही तारीख
गुरु पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में आती है। वर्ष 2025 में यह पर्व 5 जुलाई को मनाया जाएगा, जो आषाढ़ कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा के दिन आता है।
गुरु पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
गुरु पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
'गुरु' का अर्थ है वह जो अज्ञान को ज्ञान में परिवर्तित करता है। भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे जीवन की सही दिशा दिखाते हैं और आध्यात्मिक तथा सांसारिक ज्ञान प्रदान करते हैं।
हिंदू धर्म में: गुरु पूर्णिमा का संबंध भगवान शिव और उनकी शक्ति पार्वती से भी जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि शिव ने इसी दिन पार्वती को ज्ञान और शक्ति का संचार किया था। यह दिन वेदों के महान गुरु वेद व्यास की जयंती भी है, जिन्होंने महाभारत, पुराण और वेदों की रचना की। इस दिन गुरु को सम्मानित करना और उनकी पूजा करना शुभ माना जाता है।
बौद्ध धर्म में: इस दिन भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था, इसलिए बौद्ध धर्म में भी गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है।
जैन धर्म में: जैन धर्म में भी गुरु पूर्णिमा को गुरु की महिमा के रूप में मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा पर पूजा और अनुष्ठान
गुरु पूर्णिमा पर की जाने वाली मुख्य पूजा और अनुष्ठान
गुरु पूजन: इस दिन शिष्य अपने गुरु को प्रणाम करते हैं, उन्हें सम्मानित करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गुरु के चरणों में जल चढ़ाना, फूल अर्पित करना और दान देना शुभ माना जाता है।
धार्मिक आयोजन: मंदिरों और आश्रमों में विशेष पूजा, भजन, कीर्तन, और प्रवचन होते हैं।
दान पुण्य: गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना, उपवास रखना और अध्यात्मिक कार्यों में हिस्सा लेना इस दिन की विशेषता होती है।
गुरु पूर्णिमा का उद्देश्य
गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
गुरु पूर्णिमा का पर्व इसलिए मनाया जाता है ताकि हम अपने जीवन में जो भी सफलता, ज्ञान और आत्मिक उन्नति पाते हैं, उसके पीछे गुरु की महत्ता को समझें। गुरु के बिना ज्ञान का प्रकाश संभव नहीं है। यह पर्व हमें अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञ रहने की शिक्षा देता है। गुरु पूर्णिमा न केवल गुरु-शिष्य संबंध को मजबूत करती है, बल्कि यह हमारे जीवन में ज्ञान और आध्यात्मिक विकास की प्रेरणा भी देती है। इस पावन दिन पर अपने गुरुओं को सम्मानित करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सकारात्मक और सफल बनाएं।