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गोवर्धन पूजा 2025: उत्सव की तैयारी और महत्व

गोवर्धन पूजा 2025 का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह पर्व भगवान कृष्ण के अद्भुत कार्य को याद करने का अवसर है। इस लेख में जानें कि कैसे गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है, इसकी सजावट के तरीके और पूजा का सही समय। यदि आप पहली बार इस पर्व को मनाने की योजना बना रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगी।
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गोवर्धन पूजा 2025: उत्सव की तैयारी और महत्व

गोवर्धन पूजा 2025: एक महत्वपूर्ण पर्व


गोवर्धन पूजा 2025: यह पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इसे दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है। इस दिन भक्त भगवान कृष्ण के उस अद्भुत कार्य को याद करते हैं, जब उन्होंने ब्रजवासियों को इंद्रदेव की प्रचंड वर्षा और तूफानों से बचाने के लिए अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया था।


हर वर्ष, भक्त अपने आंगन या खुले स्थान पर गाय के गोबर से एक छोटा गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा करते हैं। गोवर्धन पर्वत को प्रकृति, अन्न और पशुधन का प्रतीक माना जाता है। यदि आप पहली बार गोवर्धन पूजा करने की योजना बना रहे हैं और अपने घर में गोवर्धन बनाना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए उपयोगी होगा। हमने आपके लिए प्रेरणादायक चित्र भी शामिल किए हैं।


गाय का गोबर कैसे तैयार करें

गाय का गोबर कैसे तैयार करें


साफ और ताजा गाय के गोबर का उपयोग करें। यदि गोबर थोड़ा सूखा है, तो उसे नरम और चिकना बनाने के लिए थोड़ा पानी मिलाएं। गंध से बचने के लिए दस्ताने पहनना फायदेमंद हो सकता है। आकृतियों को आसानी से बनाने के लिए आप इसमें थोड़ी मिट्टी भी मिला सकते हैं।


क्या बनाएं

क्या बनाएं


सबसे पहले, आंगन या किसी खुली जगह को अच्छे से साफ करें। फिर गाय के गोबर से एक छोटा सा पहाड़ बनाएं—यह आपका गोवर्धन पर्वत होगा। पहाड़ के चारों ओर, आप गाय, बछड़े, पेड़ और छोटी-छोटी झोपड़ियां भी बना सकते हैं। पहाड़ के बीच या ऊपर भगवान कृष्ण की एक छोटी मूर्ति या आकृति स्थापित करें। पूरे गोवर्धन को फूलों, मालाओं, रंग-बिरंगे पाउडर, चीनी के बने पदार्थ (जैसे खील और बताशे) और छोटे दीयों से सजाएं।


2025 में गोवर्धन पूजा कब है?

2025 में गोवर्धन पूजा कब है?


हिंदू पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। 2025 में यह तिथि बुधवार, 22 अक्टूबर को पड़ रही है। प्रतिपदा तिथि 21 अक्टूबर की शाम से शुरू होगी, लेकिन मुख्य पूजा 22 अक्टूबर को होगी।