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चंडीगढ़ में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन की समीक्षा बैठक

चंडीगढ़ में हाल ही में आयोजित एक बैठक में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन की स्थिति की समीक्षा की गई। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अपशिष्ट जल का उचित उपचार सुनिश्चित किया जाए और अनुपचारित जल का निर्वहन न हो। बैठक में अपशिष्ट जल उत्पादन, उपचार की क्षमता और कचरा प्रबंधन के उपायों पर चर्चा की गई। जानें इस बैठक में क्या निर्णय लिए गए और चंडीगढ़ में पर्यावरण संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
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चंडीगढ़ में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन की समीक्षा बैठक

चंडीगढ़ में अपशिष्ट प्रबंधन की स्थिति की समीक्षा


चंडीगढ़ के मुख्य सचिव ने हाल ही में एक बैठक में राष्ट्रीय हरित अधिकरण के निर्देशों के तहत ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन की स्थिति की समीक्षा की। इस बैठक में पर्यावरण एवं स्थानीय निकाय सचिव मंदीप सिंह बराड़, वित्त सचिव दीप्रवा लाकड़ा, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।


बैठक में अपशिष्ट जल उत्पादन और उपचार की स्थिति पर चर्चा की गई। चंडीगढ़ में 232 एमएलडी अपशिष्ट जल का उत्पादन हो रहा है, जबकि उपचार की क्षमता 255 एमएलडी है, जो कि 100% से अधिक है। सभी एसटीपी के प्रदर्शन की समीक्षा की गई और आयुक्त ने विशेषज्ञ एजेंसियों के साथ परामर्श करने के कदमों की जानकारी दी।


सभी प्रयास किए जा रहे हैं ताकि नालियों में अनुपचारित पानी का निर्वहन न हो और सभी सीवेज को उपचार के लिए एसटीपी में भेजा जाए। साप्ताहिक निगरानी सुनिश्चित की जा रही है। तृतीयक उपचारित जल के वितरण नेटवर्क का कार्य भी प्रगति पर है।


चंडीगढ़ में प्रतिदिन 500 टीपीडी कचरा उत्पन्न होता है, जिसे डोर टू डोर कलेक्शन के माध्यम से एकत्र किया जाता है। विरासत कचरे का जैव-उपचार कार्य जुलाई 2025 तक पूरा होने की संभावना है।


मुख्य सचिव ने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि कोई भी अनुपचारित अपशिष्ट जल नालियों में न छोड़ा जाए और ठोस कचरा कहीं भी न डाला जाए। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।