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जानें जनवरी का नाम और इसकी रोमन पृष्ठभूमि

क्या आपने कभी सोचा है कि जनवरी का नाम कैसे पड़ा? इस लेख में हम जानेंगे कि जनवरी का संबंध रोमन देवता जानूस से कैसे है। जानूस, जो अतीत और भविष्य का देवता है, नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। राजा नूमा पोंपिलियस ने जनवरी को पहले महीने के रूप में स्थापित किया। जानें इस महीने का महत्व और कैसे यह नई योजनाओं और संकल्पों का प्रतीक बन गया है।
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जानें जनवरी का नाम और इसकी रोमन पृष्ठभूमि

नए साल की शुरुआत और जनवरी का महत्व


क्रिसमस का उत्सव मनाते हुए, वर्ष 2025 अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। कुछ ही दिनों में, नया साल 2026 दस्तक देने वाला है। हर नए साल के साथ नई उम्मीदें, संकल्प और लक्ष्य जुड़ते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जनवरी का नाम कैसे पड़ा और इसकी उत्पत्ति क्या है?


कैलेंडर की उत्पत्ति और जनवरी का नाम


कैलेंडर शब्द की जड़ें प्राचीन रोमन सभ्यता में हैं, और इसी तरह जनवरी का संबंध भी रोमन मिथकों से है। रोमन पौराणिक कथाओं में जानूस नामक एक महत्वपूर्ण देवता हैं, जिन्हें अतीत और भविष्य का देवता माना जाता है। जानूस समय, परिवर्तन, शुरुआत और अंत का प्रतीक हैं।


जानूस की विशेषता उनके दो चेहरे हैं: एक अतीत की ओर और दूसरा भविष्य की ओर। कई चित्रों में एक चेहरा वृद्ध और गंभीर होता है, जबकि दूसरा युवा और उज्ज्वल। यह द्वैत अतीत और भविष्य के बीच संतुलन को दर्शाता है, जिससे जानूस को हर नई शुरुआत का देवता माना गया है।


रोमन इतिहास में जनवरी को पहले महीने के रूप में स्थापित करने का श्रेय राजा नूमा पोंपिलियस को जाता है, जिन्होंने लगभग 713 ईसा पूर्व में रोमन कैलेंडर में सुधार किए। उन्होंने साल को 12 महीनों में विभाजित किया और जानूस को समर्पित करते हुए जनवरी को पहला महीना घोषित किया। उनके अनुसार, नया साल तभी शुभ होगा जब वह जानूस के नाम से शुरू हो।


रोमुलस द्वारा निर्मित प्रारंभिक कैलेंडर


इससे पहले, रोमन राजा रोमुलस द्वारा बनाया गया पहला कैलेंडर काफी भिन्न था। उस समय साल की शुरुआत मार्च से होती थी और कुल 10 महीने होते थे। सर्दियों के लगभग 61 दिनों को किसी भी महीने में शामिल नहीं किया जाता था, जिससे सर्दियों का समय कैलेंडर में 'बिना नाम' के गुजर जाता था। उस कैलेंडर में कुल 304 दिन ही होते थे।


बाद में, नूमा पोंपिलियस ने इस व्यवस्था को बदला और जनवरी व फरवरी को जोड़कर कैलेंडर को अधिक व्यवस्थित बनाया। जनवरी को नए साल का प्रतीक माना गया क्योंकि यह पुराने साल के अंत और नए सफर की शुरुआत के बीच का सेतु है।


आज भी, जनवरी को नई योजनाओं, संकल्पों और बदलाव के महीने के रूप में देखा जाता है। जानूस की तरह, यह महीना हमें अतीत को देखने और भविष्य की ओर कदम बढ़ाने की प्रेरणा देता है। इसलिए, जनवरी केवल एक महीना नहीं, बल्कि नई शुरुआत का प्रतीक बन चुका है।