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जावेद अख्तर ने स्वतंत्रता दिवस पर ट्रोल को दिया करारा जवाब

जावेद अख्तर ने स्वतंत्रता दिवस पर एक भावुक संदेश साझा किया, जिसमें उन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष करने वालों को याद किया। एक ट्रोल द्वारा उन्हें 'पाकिस्तानी' कहे जाने पर, जावेद ने करारा जवाब दिया, जिसमें उन्होंने अपने पूर्वजों के बलिदानों का जिक्र किया। उनके इस जवाब ने सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोरी। जानें पूरी कहानी में जावेद की देशभक्ति और उनके परिवार के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के बारे में।
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जावेद अख्तर ने स्वतंत्रता दिवस पर ट्रोल को दिया करारा जवाब

जावेद अख्तर का स्वतंत्रता दिवस संदेश

जावेद अख्तर: 15 अगस्त 2025 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रसिद्ध गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर देशवासियों को बधाई दी। उनके इस पोस्ट पर एक यूजर ने उन्हें 'पाकिस्तानी' और 'गद्दार' कहकर तंज कसा। जावेद अख्तर ने इस ट्रोल को जवाब देते हुए अपनी देशभक्ति का प्रमाण पेश किया।


जावेद ने अपने संदेश में लिखा, 'सभी भारतीय भाइयों और बहनों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह आजादी हमें आसानी से नहीं मिली। आज उन लोगों को याद करें और सलाम करें जिन्होंने जेल गए और जिन्होंने फांसी के फंदे पर चढ़कर हमें यह आजादी दिलाई।' इस भावुक संदेश पर एक यूजर ने कमेंट किया, 'आपका स्वतंत्रता दिवस तो 14 अगस्त को है,' जो पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस की ओर इशारा कर रहा था।




जावेद ने इस ट्रोल को जवाब देते हुए लिखा, 'बेटा, जब तुम्हारे बाप-दादा अंग्रेजों के जूते चाट रहे थे, तब मेरे बुजुर्ग देश की आजादी के लिए काला पानी में मर रहे थे। अपनी औकात में रहो।' उन्होंने एक अन्य यूजर को, जिसने उन्हें 'गद्दार' कहा, जवाब दिया, 'गद्दार वे हैं जो असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन के खिलाफ थे। गद्दार वे हैं जिन्होंने अंग्रेजों की मदद की। गद्दार वे हैं जो हमारे संविधान और तिरंगे के खिलाफ थे। यह पता कर लो कि वे कौन थे, अपनी जिहालत थोड़ी कम कर लो।'


Javed Akhtar post social media


जावेद अख्तर के इस जवाब की सोशल मीडिया पर काफी सराहना हुई। कई यूजर्स ने उनके तीखे जवाब की प्रशंसा की। एक यूजर ने लिखा, 'जावेद साहब ने ट्रोल को शानदार जवाब दिया।' जावेद के परिवार का स्वतंत्रता संग्राम से गहरा संबंध रहा है। उनके परदादा फैजल-ए-हक खैरबादी 1857 की क्रांति में शामिल थे और उनके चाचा अंसार हरवानी ने भी आजादी की लड़ाई में भाग लिया।