डे-लाइट सेविंग टाइम: स्वास्थ्य पर प्रभाव और विशेषज्ञों की सलाह
डे-लाइट सेविंग टाइम का परिचय
हर वर्ष सर्दियों में कई देशों में घड़ी की सुइयां एक घंटा पीछे कर दी जाती हैं, जिसे डे-लाइट सेविंग टाइम कहा जाता है।
शरीर पर प्रभाव
हालांकि यह परिवर्तन एक घंटे की अतिरिक्त नींद का अवसर प्रदान करता है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह हमारे शरीर की जैविक लय, जिसे सर्केडियन रिदम कहा जाता है, को प्रभावित कर सकता है। हार्ट सर्जन डॉ. जेरमी लंदन के अनुसार, यह मामूली बदलाव भी हमारे दिल, दिमाग और नींद पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
सर्केडियन रिदम पर प्रभाव
डॉ. लंदन बताते हैं कि घड़ी को एक घंटा पीछे करने से जैविक संतुलन में गड़बड़ी आ सकती है। उनका कहना है कि 'सिर्फ एक घंटे का बदलाव हमारे सर्केडियन रिदम को पूरी तरह से बिगाड़ सकता है। इसके परिणामस्वरूप हार्ट अटैक, स्ट्रोक, मूड में बदलाव और सड़क दुर्घटनाओं की घटनाएं बढ़ सकती हैं।' विशेषज्ञों के अनुसार, यह परिवर्तन शरीर को तुरंत झटका देता है, जिससे नींद और एकाग्रता प्रभावित होती है।
शरीर की लय में गड़बड़ी का कारण
डॉ. लंदन के अनुसार, हमारा शरीर प्राकृतिक रोशनी के अनुसार कार्य करता है। सूरज की रोशनी से हमारी जैविक घड़ी का संतुलन बना रहता है। जब अचानक समय में बदलाव होता है, तो यह संतुलन बिगड़ जाता है। वे कहते हैं, 'शोध बताते हैं कि जैसे ही लाइट एक्सपोजर में बदलाव होता है, नींद की गुणवत्ता में कमी आती है, कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है और शरीर में सूजन बढ़ जाती है।' यह प्रभाव विशेष रूप से वसंत ऋतु में अधिक देखा जाता है।
विशेषज्ञों की सलाह
अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन का सुझाव है कि स्थायी स्टैंडर्ड टाइम अपनाना चाहिए, जो हमारी प्राकृतिक लय के अनुरूप हो। डॉ. लंदन के अनुसार, जब तक ऐसा नहीं होता, हमें कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। वे कहते हैं, 'हर दिन एक ही समय पर सोना और उठना आवश्यक है। सुबह की धूप में कुछ समय बिताना और मानसिक शांति के लिए मेडिटेशन या टहलना फायदेमंद हो सकता है।'
नींद का महत्व
डॉ. लंदन का मानना है कि नींद हमारे स्वास्थ्य की नींव है। उनका कहना है, 'अगर आपकी नींद प्रभावित होती है, तो इसका असर आपके जीवन के हर पहलू पर पड़ता है- मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक।' वे सुझाव देते हैं कि दिन में हल्की एक्सरसाइज, प्राकृतिक प्रकाश में समय बिताना और कैफीन का सेवन कम करना शरीर को बदलाव के लिए तैयार करता है।
निष्कर्ष
यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से है। विशेषज्ञों का मानना है कि डे-लाइट सेविंग टाइम जैसी छोटी-सी आदतें भी हमारे शरीर की लय को गहराई से प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए, नियमित नींद, संतुलित दिनचर्या और प्राकृतिक रोशनी से संपर्क बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
