डॉ. प्रीति अडाणी ने AVPN कॉन्फ्रेंस में साझा किया बदलाव का मंत्र

समाज में बदलाव की प्रेरक कहानियाँ
हांगकांग में आयोजित AVPN ग्लोबल कॉन्फ्रेंस में अडाणी फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. प्रीति अडाणी ने उम्मीद, मेहनत और समाज में परिवर्तन लाने की वास्तविक कहानियाँ साझा कीं। उन्होंने उपस्थित लोगों को प्रेरित करते हुए नई सोच और जिम्मेदारी का महत्व बताया।
एक महिला की उम्मीद ने बदली सोच
डॉ. अडाणी ने अपने भाषण की शुरुआत गुजरात के कच्छ के रेगिस्तान से की, जहाँ उन्होंने 26 साल पहले एक महिला को देखा था, जो सूखी जमीन में बीज बो रही थीं। जब प्रीति ने पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रही हैं, तो महिला ने उम्मीद भरी आँखों से कहा कि 'एक दिन बारिश आएगी, और अगर बीज नहीं बोए गए तो बारिश क्या जगा पाएगी?' यह कहानी डॉ. अडाणी के लिए प्रेरणा बन गई और उन्होंने इसे AVPN के मंच पर एक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत किया।
पति के सपनों के साथ शुरू हुआ सफर
डॉ. अडाणी ने बताया कि वह 20 साल की उम्र में डेंटिस्ट बनीं और अहमदाबाद में शीर्ष डेंटिस्ट बनने का सपना देख रही थीं, लेकिन शादी के बाद उनके पति गौतम अडाणी के सपनों ने उनकी दिशा बदल दी। गौतम का मानना था कि राष्ट्र निर्माण का असली मूल्य शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका को मजबूत करने में है। इस विश्वास ने प्रीति को अपनी पसंद की नौकरी छोड़कर गौतम के सपनों का साथ देने के लिए प्रेरित किया। 1996 में शुरू हुआ यह छोटा सा कदम आज अडाणी फाउंडेशन बन गया, जिसे उनके परिवार ने 7 बिलियन डॉलर के दान की प्रतिबद्धता से और मजबूत किया।
सुनाईं बदलाव की रियल लाइफ स्टोरी
डॉ. अडाणी ने तीन प्रेरक कहानियाँ साझा कीं, जो उनके काम का असली मकसद दिखाती हैं। पहली कहानी वंश की है, जो गुजरात के एक आदिवासी इलाके में 3 साल की उम्र में केवल 8 किलो वजन के साथ कमजोर था। अडाणी फाउंडेशन की सुपोषण संगिनी ने उसकी और उसकी मां की मदद की। आज वंश दौड़ रहा है और जीवन से भरा हुआ है। दूसरी कहानी रेखा बिसेन की है, जो महाराष्ट्र में विधवा थीं और अपने बच्चों के लिए परेशान थीं। एक सुपोषण संगिनी की मदद से उन्होंने अपने गांव के दूध चिलिंग सेंटर को चलाया और 130 औरतों को प्रेरित किया। तीसरी कहानी सोनल गढ़वी की है, जो कच्छ की गरीब लड़की थी, लेकिन अडाणी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई कर आयरलैंड में मास्टर्स की डिग्री हासिल की और अब ऐपल में काम करती है।
बदलाव के लिए तीन बड़े सबक
डॉ. अडाणी ने तीन महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जिन पर मिलकर काम करने की आवश्यकता है। पहला, हमें केवल दान देने वाले नहीं, बल्कि सह-निर्माता बनना होगा। दानदाता, कंपनियां, सरकार और समुदाय को एक साथ आना चाहिए ताकि हर पैसा और हर समाधान अधिक प्रभावी हो सके। दूसरा, हमें लाभार्थियों को गुणक (मल्टीप्लायर) बनाना होगा। एक शिक्षित लड़की सैकड़ों को राह दिखा सकती है और एक सशक्त महिला पूरे समुदाय को जागरूक कर सकती है। तीसरा, हमें स्किल्स के साथ वैल्यूज को जोड़ना होगा।
एकजुट होकर बदलाव लाएं
अपने भाषण के अंत में डॉ. अडाणी ने कहा कि 'हमें एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए। एक दानदाता के रूप में नहीं, बल्कि सह-निर्माता के रूप में, सहानुभूति से नहीं, एकजुटता के साथ और उम्मीद से नहीं, बेहतर कल के विश्वास के साथ। हमें वह पीढ़ी बनना है, जो सूखे में बीज बोए, बारिश से पहले भरोसा रखे, और सम्मान और अवसर का फसल तैयार करे।' उन्होंने वादा किया कि वे AVPN और सभी साथियों के साथ मिलकर आने वाले वर्षों में काम करेंगी।