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दादी की ममता ने पोते को दिया दूसरा मौका, चोरी की कहानी में आया मोड़

केरल के अलप्पुझा जिले में एक दादी ने अपने पोते की चोरी को माफ कर दिया और उसे सुधारने का एक मौका दिया। यह कहानी रिश्तों की गर्माहट और ममता की है, जहां दादी ने न केवल अपनी सोने की चेन वापस पाई, बल्कि अपने पोते को सही रास्ते पर लाने का भी प्रयास किया। जानिए कैसे पुलिस ने इस मामले में मदद की और युवक ने अपनी गलती स्वीकार की।
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दादी की ममता ने पोते को दिया दूसरा मौका, चोरी की कहानी में आया मोड़

रिश्तों की गर्माहट ने बदला मामला

चोरी की घटनाएं अक्सर रिश्तों में तनाव पैदा कर देती हैं, लेकिन केरल के अलप्पुझा जिले से एक अनोखी कहानी सामने आई है। यहां एक दादी ने अपने पोते की गलती को माफ करते हुए न केवल अपनी सोने की चेन वापस पाई, बल्कि उसे सुधारने का भी एक अवसर दिया।


सोने की चेन की चोरी का शक

65 वर्षीय महिला हर रात अपनी डेढ़ सोवरन की सोने की चेन तकिये के नीचे रखकर सोती थीं। पिछले गुरुवार की सुबह जब उन्होंने चेन नहीं पाई, तो उन्हें अपने पोते पर शक हुआ, जिसने पहले भी पैसे चुराए थे। हालांकि, उन्होंने सीधे पुलिस में शिकायत नहीं की, बल्कि उनसे अनुरोध किया कि बिना मामला दर्ज किए उनकी चेन वापस दिला दी जाए।


व्हाट्सएप के जरिए चोर का पता लगाया गया

पुलिस ने महिला की भावनाओं को समझते हुए एक अलग रणनीति अपनाई। उन्होंने युवक की तस्वीर ऑल केरल गोल्ड एंड सिल्वर मर्चेंट्स एसोसिएशन के डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी एबी थॉमस को भेजी। एबी ने यह तस्वीर ज्वेलर्स के व्हाट्सएप ग्रुप में साझा की, जिसमें दुकानदारों से कहा गया कि यदि यह युवक चेन बेचने आए तो सामान न खरीदें। युवक ने लगभग 25 ज्वेलरी दुकानों में चेन बेचने की कोशिश की, लेकिन हर जगह उसे निराशा ही मिली।


दादी ने दी माफी और इनाम

बेचने में असफल रहने के बाद, युवक ने शनिवार को चेन वापस दादी को सौंप दी और अपनी गलती स्वीकार कर ली। इस पर महिला ने न केवल उसे माफ किया, बल्कि ₹1000 देकर यह भी जताया कि वह अब भी उस पर विश्वास करती हैं। उन्होंने कहा कि भले ही वह दुखी हैं, लेकिन उनका प्यार और उम्मीद अभी भी बरकरार है।


बेंगलुरु में पढ़ाई ने बदली दिशा

यह युवक कभी पढ़ाई में अव्‍वल था और कक्षा 12वीं में सभी विषयों में A+ ग्रेड हासिल किए थे। लेकिन जब वह बेंगलुरु जाकर फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई करने लगा, तो उसकी जिंदगी की दिशा बदल गई। माता-पिता के अलगाव और मानसिक दबाव ने उसे भटका दिया। दादी को आज भी विश्वास है कि वह सुधार सकता है और वह उसे सही रास्ते पर लाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगी।