दुनिया के पांच देश जहां क्रिसमस का जश्न नहीं मनाया जाता
क्रिसमस का उत्सव: एक वैश्विक दृष्टिकोण
दिसंबर का महीना पूरी दुनिया में उत्सवों का समय होता है। परिवार एकत्रित होकर उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं, सजावट करते हैं और खुशियों का जश्न मनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई देशों में 25 दिसंबर एक सामान्य दिन की तरह होता है? कुछ स्थानों पर धार्मिक, सांस्कृतिक या राजनीतिक कारणों से क्रिसमस का उत्सव नहीं मनाया जाता। यहां हम ऐसे पांच देशों के बारे में चर्चा करेंगे जहां क्रिसमस पर कोई विशेष समारोह नहीं होता।
1. उत्तर कोरिया
उत्तर कोरिया- उत्तर कोरिया में सरकार धर्म पर कड़ा नियंत्रण रखती है। यहां क्रिसमस जैसे धार्मिक त्योहारों का मनाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। किम परिवार की पूजा को बढ़ावा दिया जाता है और अन्य धर्मों की छुट्टियों को मान्यता नहीं दी जाती। क्रिसमस मनाने पर कड़ी सजा हो सकती है। लोग यहां दिसंबर में नेता की जयंती या अन्य सरकारी उत्सव मनाते हैं।
2. सऊदी अरब
सऊदी अरब- सऊदी अरब इस्लाम का जन्मस्थान है और यहां इस्लामी नियम बहुत सख्त हैं। सार्वजनिक रूप से क्रिसमस मनाना या सजावट करना गैरकानूनी है। सरकार इसे इस्लामी परंपराओं के खिलाफ मानती है। विदेशी लोग निजी तौर पर थोड़ा बहुत मना सकते हैं, लेकिन सार्वजनिक रूप से ऐसा करना मना है। यहां ईद जैसे मुस्लिम त्योहार बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।
3. ब्रुनेई
ब्रुनेई- ब्रुनेई एक छोटा लेकिन समृद्ध मुस्लिम देश है। यहां 2015 से सार्वजनिक क्रिसमस समारोह पर प्रतिबंध है। सांता की टोपी पहनना, क्रिसमस ट्री लगाना या गाने गाना अपराध माना जाता है। इसका उद्देश्य मुस्लिम आबादी को गुमराह होने से बचाना है। गैर-मुस्लिम लोग घर में चुपचाप मना सकते हैं, लेकिन बाहर ऐसा करना मना है। सजा पांच साल तक की जेल हो सकती है।
4. सोमालिया
सोमालिया- सोमालिया में अधिकांश लोग मुस्लिम हैं और सरकार ने क्रिसमस को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर रखा है। इसे इस्लाम के खिलाफ माना जाता है और सार्वजनिक उत्सव को सुरक्षा के लिए खतरा बताया जाता है। क्रिसमस मनाने पर कड़ी सजा हो सकती है। लोग यहां अपने धार्मिक त्योहारों का जश्न मनाते हैं।
5. ताजिकिस्तान
ताजिकिस्तान- ताजिकिस्तान में सरकार विदेशी संस्कृति को सीमित करती है। यहां सार्वजनिक क्रिसमस सजावट, स्कूलों में पार्टी या क्रिसमस ट्री पर रोक है। इसका उद्देश्य अपनी स्थानीय परंपराओं को संरक्षित करना है। कुछ लोग निजी तौर पर मनाते हैं, लेकिन सार्वजनिक रूप से ऐसा करना मना है।
