नारद जी और भगवान शिव की कथा: विनम्रता का महत्व

जीवन के मार्गदर्शन में पुराणों की कथाएं
भारतीय पुराणों में कई कहानियाँ हैं जो हमें जीवन जीने की दिशा दिखाती हैं। इनमें से एक प्रसिद्ध कथा नारद जी और भगवान शिव की है, जिसमें भगवान शिव ने नारद जी के घमंड को तोड़कर उन्हें विनम्रता का पाठ सिखाया। यह कथा "नारद मोह" के नाम से जानी जाती है और यह दर्शाती है कि भक्ति के मार्ग में अहंकार एक बाधा बन सकता है।
नारद जी का अभिमान
नारद जी, जो भगवान विष्णु के परम भक्त माने जाते हैं, ने एक बार कठोर तप किया और भगवान विष्णु उनके सामने प्रकट हुए। नारद जी ने गर्व से कहा कि उन्होंने "माया" पर विजय प्राप्त कर ली है। भगवान विष्णु ने मुस्कुराते हुए कुछ नहीं कहा, लेकिन नारद जी का घमंड बढ़ता गया।
स्वयंवर में नारद जी की इच्छा
कुछ समय बाद, नारद जी एक सुंदर नगरी में पहुंचे, जहाँ एक राजकुमारी का स्वयंवर होने वाला था। उन्होंने राजकुमारी को देखकर विवाह की इच्छा व्यक्त की और भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि उन्हें ऐसा रूप दें कि राजकुमारी उन्हें वर के रूप में स्वीकार करे। भगवान विष्णु ने उनकी प्रार्थना सुनकर उन्हें एक अद्भुत रूप दिया, लेकिन एक विशेष मायाजाल के साथ।
हनुमान का मुख और ठुकराना
जब नारद जी स्वयंवर में पहुँचे, तो सभी लोग उन्हें देखकर हंसने लगे। नारद जी को समझ नहीं आया कि ऐसा क्यों हो रहा है। जब उन्होंने तालाब में अपना चेहरा देखा, तो वे चौंक गए – उनका चेहरा हनुमान जैसा हो गया था! राजकुमारी ने उन्हें ठुकरा दिया और भगवान विष्णु को वर के रूप में चुन लिया। नारद जी को यह समझ में आया कि भगवान विष्णु ने जानबूझकर ऐसा किया ताकि उनका घमंड टूट सके। क्रोधित होकर वे भगवान विष्णु को शाप देने गए, लेकिन भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें समझाया कि यही घमंड उनके पतन का कारण है।
भगवान शिव की शिक्षा
भगवान शिव ने नारद जी से कहा,
"जो व्यक्ति अपने ज्ञान, तप या भक्ति का प्रदर्शन करता है और उसमें घमंड पालता है, वह सच्चा साधक नहीं हो सकता।" नारद जी की आँखें खुल गईं और उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की। उन्होंने भगवान विष्णु और भगवान शिव से क्षमा मांगी और फिर से विनम्रता के साथ भक्ति के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया।
कथा से सीख
- विनम्रता सबसे बड़ा गुण है। चाहे हम कितने भी ज्ञानी, भक्त या तपस्वी क्यों न हों, यदि हमारे भीतर अहंकार है, तो वह हमारी साधना को नष्ट कर देता है।
- माया को जीतना आसान नहीं। भगवान की लीला और माया को केवल भगवान ही समझ सकते हैं।
- ईश्वर की योजना में गहराई होती है। जो हमें बुरा लगता है, वह भी हमारी भलाई के लिए हो सकता है।