नीम करोली बाबा के दर्शन में क्या न करें: जानें महत्वपूर्ण बातें

नीम करोली बाबा: श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक
Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा को हनुमान जी का अवतार माना जाता है और देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु उनकी एक झलक पाने कैंची धाम आते हैं. बाबा के दर्शन से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक व आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति होती है. लेकिन कई बार श्रद्धालु अज्ञानता या लापरवाही में ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिनके कारण उन्हें बाबा की कृपा नहीं मिल पाती.
बाबा की कृपा पाने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें
कहते हैं कि बाबा की कृपा उन्हीं पर बरसती है, जो श्रद्धा, सेवा और शुद्धता के मार्ग पर चलते हैं. अगर आप भी कैंची धाम जाने की तैयारी कर रहे हैं, तो कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. जानिए वे कौन सी गलतियां हैं जो दर्शन के दौरान बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए, ताकि आपकी भक्ति अधूरी न रह जाए.
आश्रम का अनुशासन भंग न करें
कैंची धाम केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक जीवंत आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है. यहां शांति और अनुशासन अत्यंत आवश्यक है. शोर मचाना, हंसी-मजाक करना, गाली-गलौज या किसी भी तरह का अनुशासनहीन व्यवहार बाबा की कृपा से आपको दूर कर सकता है. इसलिए वहां मौन रहना, नियमों का पालन करना और दूसरों की आस्था का सम्मान करना जरूरी है.
बिना स्नान या अपवित्र वस्त्रों में दर्शन न करें
नीम करोली बाबा के अनुसार, दर्शन के लिए शरीर ही नहीं, मन की शुद्धता भी जरूरी है. स्नान करके, साफ-सुथरे और हल्के रंग के वस्त्र पहनकर ही दर्शन के लिए जाएं. मन में गुस्सा, ईर्ष्या या नकारात्मक विचार लेकर जाना दर्शन का पुण्य कम कर सकता है. स्त्रियों को विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए कि वे पीरियड्स के दौरान दर्शन न करें.
दिखावे से बचें
कई लोग बाबा के दर्शन को पर्यटन स्थल समझकर सेल्फी, रील्स या फैशन शो की तरह पेश आते हैं. बाबा सादगी, सेवा और विनम्रता के प्रतीक थे. “नीम करोली बाबा दिखावे में नहीं, सच्ची श्रद्धा में विश्वास रखते थे.” इसलिए साधारण वेशभूषा, सादे मन और समर्पित हृदय के साथ दर्शन करना ही उचित है.
दर्शन के दौरान धक्का-मुक्की न करें
श्रद्धालुओं की भीड़ में संयम बनाए रखना अनिवार्य है. लाइन में धैर्यपूर्वक अपनी बारी का इंतज़ार करें. यदि कोई बुज़ुर्ग, महिला या बच्चा आगे हो तो उन्हें पहले जाने दें. किसी से बहस, झगड़ा या धक्का-मुक्की करना बाबा की कृपा से वंचित कर सकता है.
प्रसाद का सम्मान करें
भंडारे में मिलने वाला भोजन बाबा का प्रसाद होता है. इसका अपमान करना भारी भूल है. प्रसाद जितना मिले, उसमें संतोष करना सीखो. अधिक मांगना, खाना बर्बाद करना या स्वाद की आलोचना करना अशुद्ध मानसिकता दर्शाता है. श्रद्धा से भोजन स्वीकार करें, यही सच्चा पुण्य है.
बुजुर्गों और जरूरतमंदों की मदद करें
सेवा ही सच्चा धर्म है. आश्रम में यदि कोई वृद्ध, रोगी या जरूरतमंद मिले तो उसकी मदद करना न भूलें. बाबा कहते थे, सेवा में ही भगवान का वास है. इससे न केवल पुण्य मिलता है, बल्कि बाबा की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है.
मांस, शराब और नशे से रहें दूर
यदि आप बाबा के दर्शन से पहले या बाद में मांसाहार, शराब या नशा करते हैं तो यह आपकी यात्रा को अपवित्र बना सकता है. बाबा की कृपा सात्विकता, भक्ति और प्रेम में बसती है. मन की शुद्धता ही बाबा तक पहुंचने का मार्ग है. इसलिए इन तमाम तामसिक चीज़ों से दूरी बनाकर ही दर्शन करें.