पंजाब सरकार की नई नीति: लीजहोल्ड प्लॉट्स को फ्रीहोल्ड में बदलने का ऐलान

पंजाब सरकार का महत्वपूर्ण निर्णय
पंजाब सरकार: व्यापारियों और उद्योगपतियों के लिए राहत की खबर आई है। राज्य सरकार ने लीजहोल्ड प्लॉट्स को फ्रीहोल्ड में परिवर्तित करने की नई नीति की घोषणा की है। इस कदम से औद्योगिक क्षेत्र को मजबूती मिलेगी और व्यापारियों के बीच की कई अनिश्चितताएं समाप्त होंगी।
कैबिनेट मंत्रियों की प्रेस कॉन्फ्रेंस
कैबिनेट मंत्री संजीव अरोड़ा और हरदीप सिंह मुंडियां ने पंजाब भवन में इस महत्वपूर्ण निर्णय की जानकारी दी। मंत्री संजीव अरोड़ा ने बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने व्यापारियों से किए गए 12 वादों में से दो को पूरा कर दिया है। नई नीति का सीधा लाभ व्यापारिक वर्ग को मिलेगा।
लीजहोल्ड प्लॉट्स का फ्रीहोल्ड में परिवर्तन
सभी लीजहोल्ड प्लॉट होंगे फ्रीहोल्ड
पंजाब सरकार ने नई औद्योगिक नीति के तहत सभी लीजहोल्ड प्लॉट्स को फ्रीहोल्ड में बदलने की अनुमति दी है। इसके साथ ही, इस प्रक्रिया में लगने वाली फीस में 50 प्रतिशत की छूट भी दी गई है। इससे व्यापारियों पर वित्तीय बोझ कम होगा और प्लॉट पर मालिकाना हक प्राप्त करना आसान हो जाएगा।
कम लागत में फ्रीहोल्ड प्रक्रिया
पहले की तुलना में अब काफी सस्ती होगी प्रक्रिया
मंत्री संजीव अरोड़ा ने बताया कि पहले लीजहोल्ड को फ्रीहोल्ड में बदलने के लिए भारी रकम चुकानी पड़ती थी। उदाहरण के लिए, लुधियाना के फोकल पॉइंट में 500 गज के प्लॉट के लिए अब केवल 10 लाख रुपये देने होंगे, जबकि पहले इसके लिए अधिक राशि चुकानी पड़ती थी।
बिके हुए प्लॉट्स पर कलेक्टर रेट
बिके हुए प्लॉट्स पर लगेगा केवल 5% कलेक्टर रेट
नई नीति के अनुसार, जिन लीजहोल्ड प्लॉट्स की बिक्री पहले ही हो चुकी है, उन पर केवल 5 प्रतिशत कलेक्टर रेट लागू होगा। यह निर्णय व्यापारियों के हित में लिया गया है और इससे पुरानी संपत्तियों के हस्तांतरण में भी आसानी होगी।
सरकार की नई नीति के उद्देश्य
कमेटी ने सुझाए सुधार, मुकदमेबाजी होगी कम
मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां ने बताया कि इस नीति को अंतिम रूप देने से पहले सरकार द्वारा गठित एक विशेष समिति ने सभी प्रस्तावों की समीक्षा की। समिति ने औद्योगिक प्लॉट्स पर लागू होने वाले फ्रीहोल्ड बदलावों का खाका तैयार किया। नई नीति के अनुसार, फ्रीहोल्ड प्लॉट्स के स्थानांतरण पर 12.5 प्रतिशत तबादला खर्चा लागू होगा।
सरकार का कहना है कि इस नई नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य के औद्योगिक प्लॉट्स के प्रबंधन को पारदर्शी और प्रभावी बनाना है। इससे आवंटियों और विभागों के बीच कानूनी लड़ाइयों में कमी आएगी, जिससे व्यापारिक माहौल अधिक अनुकूल बनेगा।