पसीने से जुड़ी चिंताओं का समाधान: विशेषज्ञों की सलाह

पसीना आना: एक सामान्य प्रक्रिया
सोशल मीडिया पर 'ताज़ा' रहने की निरंतर चर्चा इस चिंता को बढ़ा देती है। यहाँ विभिन्न वीडियो में प्रभावशाली लोग अपने शरीर पर डिओडोरेंट लगाते हुए दिखाई देते हैं, जबकि कुछ लोग सार्वजनिक परिवहन में 'बदबूदार' यात्रियों की शिकायत करते हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि पसीना आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। ब्रिटेन के ब्रिस्टल विश्वविद्यालय की शरीर रचना विज्ञान की प्रोफेसर मिशेल स्पीयर का कहना है, "पसीना आना पूरी तरह से सामान्य और आवश्यक है।" गर्मी, व्यायाम या तनाव के समय पसीना निकलता है, जो शरीर के तापमान को संतुलित रखने में मदद करता है।
पसीने से जुड़ी सामान्य भ्रांतियाँ
जब शरीर का तापमान बढ़ता है, तो पसीना निकलता है, जिसमें पानी और नमक होता है। यह पसीना सूखकर गर्मी को सोख लेता है और शरीर को ठंडा करता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि बदबू सीधे पसीने से नहीं आती। प्रोफेसर स्पीयर के अनुसार, हमारे शरीर में 20 से 40 लाख पसीने की ग्रंथियाँ होती हैं, जो दो प्रकार का पसीना उत्पन्न करती हैं - एक पानीदार और दूसरा वसायुक्त। वसायुक्त पसीना आमतौर पर बगलों और जांघों के पास होता है, और जब बैक्टीरिया इसे तोड़ते हैं, तो बदबू उत्पन्न होती है।
तरोताज़ा रहने के उपाय
पसीना आना फायदेमंद है, लेकिन हर कोई साफ और आत्मविश्वासी महसूस करना चाहता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पसीने को रोकने की बजाय उसे नियंत्रित करना सीखना चाहिए। साबुन और पानी से नहाना पसीने और बदबू से बचने का सबसे सरल तरीका है। लेकिन सवाल यह है कि कितनी बार नहाना चाहिए? कुछ लोग रोज़ाना नहाने की सलाह देते हैं, जबकि कुछ का मानना है कि हफ्ते में तीन बार नहाना पर्याप्त है। प्रोफेसर स्पीयर का कहना है कि बगलों, ऊपरी जांघों और पैरों को अच्छी तरह धोना आवश्यक है।
कपड़ों का चयन
हमारे कपड़े भी पसीने और दुर्गंध को प्रभावित करते हैं। सूती और लिनेन जैसे कपड़े पसीने को शरीर से दूर रखते हैं, जबकि सिंथेटिक कपड़े पसीने को सोख लेते हैं, जिससे गर्मी और बेचैनी बढ़ सकती है। डिओडोरेंट और एंटीपर्सपिरेंट भी सहायक होते हैं। डिओडोरेंट में अल्कोहल होता है, जो त्वचा को थोड़ा अम्लीय बनाता है, जिससे बैक्टीरिया का विकास कम होता है। एंटीपर्सपिरेंट में एल्युमिनियम लवण होते हैं, जो पसीने की ग्रंथियों को अवरुद्ध करते हैं।
एंटीपर्सपिरेंट के प्रभाव
एंटीपर्सपिरेंट को लंबे समय से स्तन कैंसर और अल्जाइमर जैसी बीमारियों से जोड़ा गया है। लेकिन डॉ. नोरा जाफ़र का कहना है कि अब तक के प्रमाण बताते हैं कि ये सुरक्षित हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन उत्पादों का गलत इस्तेमाल त्वचा संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है।
प्राकृतिक डिओडोरेंट का उपयोग
प्राकृतिक डिओडोरेंट का उपयोग बढ़ रहा है, खासकर उन लोगों के लिए जो एल्युमीनियम या कृत्रिम सुगंधों से बचना चाहते हैं। ये आमतौर पर प्राकृतिक एंटी-बैक्टीरियल तत्वों से बने होते हैं। हालांकि, डॉ. जाफ़र चेतावनी देते हैं कि इनका उपयोग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
पसीने की समस्या कब गंभीर होती है?
कुछ लोग हाइपरहाइड्रोसिस नामक समस्या से पीड़ित होते हैं, जिसमें शरीर को ठंडा रखने के बजाय अधिक पसीना आता है। डॉक्टरों का कहना है कि यह कभी-कभी किसी अन्य बीमारी का लक्षण भी हो सकता है। इसका इलाज तेज़ एंटीपर्सपिरेंट्स से किया जाता है। प्रोफेसर स्पीयर का कहना है कि अगर आपको बहुत ज़्यादा पसीना आ रहा है, तो शर्मिंदा न हों और डॉक्टर से सलाह लें।