पीएफ खाताधारक की मृत्यु पर धन का क्या होता है? जानें पूरी प्रक्रिया

पीएफ खाता: एक सुरक्षित भविष्य की योजना
भारत में कार्यरत हर व्यक्ति के पास एक पीएफ खाता होता है। यह खाता कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा संचालित होता है और भविष्य के लिए एक उत्कृष्ट बचत विकल्प है। इसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का योगदान होता है।
सैलरी का 12 प्रतिशत हिस्सा इस खाते में जमा किया जाता है, और सरकार द्वारा इस पर अच्छा ब्याज भी प्रदान किया जाता है। सबसे अच्छी बात यह है कि पीएफ खाताधारक कभी भी अपने खाते से पैसे निकाल सकता है, जैसे कि घर बनाने के लिए। हालांकि, एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि यदि पीएफ खाताधारक की मृत्यु हो जाती है, तो उस राशि का क्या होता है।
मृत्यु के बाद पीएफ राशि का वितरण
यदि किसी पीएफ खाताधारक की आकस्मिक मृत्यु होती है, तो ईपीएफओ के नियमों के अनुसार, खाते की पूरी राशि नॉमिनी को दी जाती है। आमतौर पर, पीएफ खातों में नॉमिनी का नाम पहले से दर्ज होता है। नॉमिनी को पीएफ खाताधारक की राशि के लिए डेथ क्लेम प्राप्त करने के लिए पोस्ट ऑफिस या ईपीएफओ की वेबसाइट से मृत्यु दावा फॉर्म भरकर आवेदन करना होता है।
नॉमिनी को खाताधारक की सभी जानकारी के साथ फॉर्म 20 भरकर जमा करना होता है, जो कि उस कंपनी द्वारा भेजा जाता है जहां खाताधारक ने अंतिम बार काम किया था। फॉर्म भरने के बाद, सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ इसे सबमिट किया जाता है। दावे की स्थिति नॉमिनी को दिए गए फोन नंबर पर सूचित की जाती है, और क्लेम सेटल होने के बाद राशि संबंधित बैंक खाते में जमा कर दी जाती है।
आवश्यक दस्तावेज और प्रक्रिया
पीएफ डेथ क्लेम के लिए नॉमिनी को कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, जैसे कि पीएफ अकाउंट नंबर, नॉमिनी का नाम, पता, पहचान पत्र की जानकारी, मोबाइल नंबर, मृत्यु प्रमाण पत्र, और खाताधारक की पासबुक। यदि पीएफ खाताधारक का कोई नॉमिनी नहीं है, तो राशि कानूनी उत्तराधिकारी को दी जाती है।