पृथ्वी शॉ का क्रिकेट करियर: संघर्ष और आत्मविश्लेषण की कहानी

पृथ्वी शॉ का संघर्ष
भारतीय क्रिकेट टीम के युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ को पहले एक उभरते सितारे के रूप में देखा जाता था, लेकिन वर्तमान में वह टीम से बाहर हैं और घरेलू क्रिकेट में भी अपनी जगह बनाने के लिए जूझ रहे हैं। रणजी ट्रॉफी के दौरान उन्हें मुंबई की टीम से बाहर कर दिया गया था, और इसके बाद विजय हजारे ट्रॉफी के लिए भी उनका चयन नहीं हुआ। इन घटनाओं ने उनके करियर को लेकर क्रिकेट जगत में चिंता पैदा कर दी थी। लंबे समय बाद, पृथ्वी शॉ ने इस स्थिति पर अपनी चुप्पी तोड़ी और स्वीकार किया कि उनका ध्यान भटक गया था.
2018 में टेस्ट क्रिकेट में शानदार शुरुआत
पृथ्वी शॉ ने 2018 में टेस्ट क्रिकेट में शानदार शुरुआत की थी, जब उन्होंने अपनी पहली पारी में 134 रन बनाकर सबको प्रभावित किया। उस समय टीम के कोच रवि शास्त्री ने उन्हें सचिन तेंदुलकर, ब्रायन लारा और वीरेंद्र सहवाग का मिश्रण बताया था। हालांकि, आईपीएल 2025 की मेगा नीलामी में उन्हें कोई फ्रेंचाइजी नहीं मिली, जिससे उनकी फॉर्म और स्थिति पर सवाल उठने लगे.
गलत फैसलों का असर
एक मीडिया इंटरव्यू में, पृथ्वी शॉ ने खुलकर कहा कि उन्होंने कई गलत निर्णय लेकर अपने करियर में पीछे रह गए। उन्होंने बताया कि उन्होंने क्रिकेट को कम समय देना शुरू कर दिया था, जबकि पहले वह नेट्स में घंटों बल्लेबाजी करते थे। शॉ ने स्वीकार किया कि उनका ध्यान भटक गया था और उन्होंने कुछ गलत दोस्तों का साथ लिया, जिन्होंने उन्हें गलत दिशा में ले जाने की कोशिश की.
प्रैक्टिस में कमी
उन्होंने कहा कि पहले वह 8 घंटे प्रैक्टिस करते थे, लेकिन अब यह घटकर 4 घंटे रह गई है। उस समय वह ग्राउंड पर आधा दिन बिताते थे, लेकिन अब उन्होंने अपनी प्राथमिकताएं बदल दी हैं। पृथ्वी शॉ के इस आत्मविश्लेषण से स्पष्ट होता है कि वह अपने खेल को फिर से सुधारने और टीम में वापसी करने के लिए पूरी मेहनत करने को तैयार हैं.