प्रधानमंत्री मोदी का स्वदेशी आंदोलन: आत्मनिर्भरता की नई दिशा

स्वदेशी आंदोलन का आह्वान
भारत में एक नया स्वदेशी आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने संबोधन में इस पहल की घोषणा की, खासकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ से पहले। उन्होंने बार-बार देशवासियों से अपने देश में निर्मित वस्तुओं का उपयोग करने की अपील की। इसके साथ ही, उन्होंने व्यापारियों से आग्रह किया कि वे अपने स्टोर पर यह दर्शाने वाले बोर्ड लगाएं कि 'यहां स्वदेशी सामान बिकता है'। प्रधानमंत्री ने कहा, 'त्योहारों का यह मौसम, जैसे नवरात्रि, विजयादशमी, धनतेरस और दिवाली, हमारी संस्कृति के उत्सव हैं, लेकिन ये आत्मनिर्भरता के उत्सव भी होने चाहिए। इसलिए, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि हम जो भी खरीदें, वह 'मेड इन इंडिया' हो।'
आत्मनिर्भरता की चुनौतियाँ
प्रधानमंत्री मोदी पिछले 11 वर्षों से आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं और 'मेक इन इंडिया' अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं। अब, स्वदेशी आंदोलन 2.0 के तहत, वे लोगों को 'मेड इन इंडिया' उत्पादों को खरीदने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि इस अवधि में भारत कितनी आत्मनिर्भरता हासिल कर पाया है? आंकड़े बताते हैं कि इस समय में भारत की अन्य देशों पर निर्भरता बढ़ी है। नागरिक रोजमर्रा की जरूरतों के लिए चीन और अन्य देशों पर निर्भर हो गए हैं।
चीन के साथ व्यापार में वृद्धि
भारत और चीन के बीच व्यापार तेजी से बढ़ा है, जिससे व्यापार घाटा भी बढ़ा है। 2014 में भारत का तेल आयात 80 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 82 प्रतिशत हो गया है। वैकल्पिक ऊर्जा के उपायों के बावजूद, भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए अन्य देशों पर निर्भर हो गया है। इस वर्ष, अमेरिका से ऊर्जा खरीद पिछले वर्ष की तुलना में दोगुनी हो गई है।
आत्मनिर्भरता की नई परिभाषा
हालांकि, आज की आत्मनिर्भरता की परिभाषा पहले जैसी नहीं है। वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में, कोई भी देश पूरी तरह से आत्मनिर्भर नहीं हो सकता। अमेरिका और चीन भी इस नियम से बाहर नहीं हैं। दुनिया अब एक गांव में बदल गई है, जहां सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
नैतिक बल की आवश्यकता
महान दार्शनिक अरस्तू ने कहा था, 'मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।' इसी तरह, आज के देशों के लिए भी यह सच है कि कोई भी देश यह नहीं कह सकता कि उसे किसी की आवश्यकता नहीं है। ऐसे में, आत्मनिर्भरता का क्या अर्थ है? यह बराबरी के संबंध का प्रतीक है।
आत्मनिर्भरता के लिए ठोस कदम
स्वदेशी अपनाना और आत्मनिर्भरता केवल नारों से संभव नहीं है। इसके लिए ठोस कदम उठाने होंगे। सरकार को व्यापारियों को उद्यमियों में बदलने के लिए योजनाएं बनानी होंगी। यदि भारत में रोजमर्रा की वस्तुओं का उत्पादन शुरू हो जाए, तो स्थिति बदल सकती है।
तकनीकी विकास की आवश्यकता
भारत में छोटे तकनीकी प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। जैसे कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ऐप्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म विकसित किए जा सकते हैं। यदि भारत सेवा क्षेत्र में सुधार करता है, तो देशी कंपनियों को 140 करोड़ लोगों का बाजार मिलेगा।