Newzfatafatlogo

प्रसिद्ध पर्यावरणविद वाल्मीक थापर का निधन: बाघों के संरक्षण में उनकी अनमोल भूमिका

प्रसिद्ध पर्यावरणविद वाल्मीक थापर का 31 मई 2025 को निधन हो गया। 73 वर्षीय थापर ने बाघों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण में चार दशकों तक संघर्ष किया। उन्होंने रणथंभौर फाउंडेशन की स्थापना की और कई सरकारी समितियों में कार्य किया। उनके लेखन और वृत्तचित्रों ने भारत के वन्यजीवों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। जानें उनके जीवन की महत्वपूर्ण बातें और उनके योगदान के बारे में।
 | 
प्रसिद्ध पर्यावरणविद वाल्मीक थापर का निधन: बाघों के संरक्षण में उनकी अनमोल भूमिका

प्रसिद्ध पर्यावरणविद का निधन

प्रसिद्ध पर्यावरणविद और वन्यजीव संरक्षण के प्रमुख चेहरे वाल्मीक थापर का निधन 31 मई 2025 को दिल्ली में उनके निवास पर हुआ। उनकी उम्र 73 वर्ष थी और वे लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को लोधी रोड इलेक्ट्रिक श्मशान घाट पर किया गया। थापर को भारतीय बाघों के संरक्षक के रूप में जाना जाता था।


बाघों के संरक्षण में चार दशकों का संघर्ष

वाल्मीक थापर ने अपने जीवन के चार दशकों से अधिक समय को बाघों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिए समर्पित किया। 1988 में, उन्होंने रणथंभौर फाउंडेशन की स्थापना की, जो समुदाय-आधारित संरक्षण प्रयासों पर केंद्रित है। वे बाघों के आवास की सुरक्षा और अवैध शिकार के खिलाफ सख्त कानूनों के समर्थन में हमेशा सक्रिय रहे।


सरकारी सलाहकार और नीतियों में योगदान

थापर 150 से अधिक सरकारी समितियों और टास्क फोर्स का हिस्सा रहे, जिसमें प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड भी शामिल है। 2005 में सरिस्का टाइगर रिजर्व से बाघों के लुप्त होने के बाद, उन्हें विशेष टास्क फोर्स में शामिल किया गया। उन्होंने बाघों के लिए सुरक्षित क्षेत्रों की आवश्यकता पर जोर दिया।


लेखन और फिल्म निर्माण में योगदान

थापर ने 30 से अधिक पुस्तकें लिखीं या संपादित कीं, जिनमें 'Land of the Tiger' और 'Tiger Fire' शामिल हैं। उन्होंने बीबीसी के साथ मिलकर कई वृत्तचित्र बनाए, जिससे भारत के वन्यजीवों को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। 2024 में, वे डॉक्यूमेंट्री 'My Tiger Family' में रणथंभौर के 50 वर्षों के अनुभव साझा करते नजर आए।


परिवार और विरासत

थापर के पिता रोमेश थापर एक पत्रकार थे, जबकि उनकी चाची रोमिला थापर एक प्रसिद्ध इतिहासकार हैं। उन्होंने संजना कपूर से विवाह किया और उनके एक पुत्र हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उन्हें 'संरक्षण का स्तंभ' कहा, जबकि वन्यजीव विशेषज्ञ नेहा सिन्हा और निर्मल घोष ने उन्हें 'बाघ संरक्षण का वैश्विक चेहरा' बताया।