बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर योजना: विवाद और सुरक्षा उपाय

बांके बिहारी मंदिर का नया कॉरिडोर प्रोजेक्ट
बांके बिहारी मंदिर: उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद, सोमवार से मंदिर परिसर के आस-पास की जमीन का सर्वेक्षण शुरू कर दिया गया है। इस सर्वे के साथ ही 500 करोड़ रुपये की लागत वाले कॉरिडोर प्रोजेक्ट की शुरुआत मानी जा रही है।
स्थानीय लोगों का विरोध
हालांकि, इस निर्णय से स्थानीय निवासी और मंदिर के सेवायत काफी नाराज हैं। उनका आरोप है कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से सरकार मंदिर की पारंपरिक और धार्मिक व्यवस्था को समाप्त करने का प्रयास कर रही है।
कॉरिडोर योजना का उद्देश्य
कॉरिडोर योजना का उद्देश्य क्या है?
मथुरा के जिलाधिकारी सीपी सिंह ने बताया कि यह योजना श्रद्धालुओं को सुरक्षित और व्यवस्थित दर्शन की सुविधा प्रदान करने के लिए बनाई गई है। अधिकारियों का कहना है कि मंदिर के अंदर की परंपराओं और सेवायतों के अधिकारों को नहीं छेड़ा जाएगा, केवल बाहरी इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जाएगा।
कॉरिडोर में सुविधाएं
कॉरिडोर में ये सुविधाएं होंगी
- भीड़ नियंत्रण की बेहतर व्यवस्था
- स्वच्छ पेयजल
- शौचालय
- आराम स्थल
- मेडिकल सुविधा
- लॉकर सिस्टम
सेवायतों का विरोध
सेवायतों का विरोध और सरकार पर आरोप
मंदिर के सेवायत ज्ञानेंद्र किशोर गोस्वामी ने इस परियोजना का कड़ा विरोध करते हुए कहा, 'इस कॉरिडोर और प्रस्तावित ट्रस्ट से मंदिर की मूल पहचान और परंपरा को खतरा है। सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है और हमारी बात नहीं सुनी जा रही।' उन्होंने यह भी कहा कि न तो स्थानीय लोगों से और न ही सेवायतों से इस योजना पर कोई चर्चा या सहमति ली गई है।
रीडिवेलप्मेंट की आवश्यकता
रीडिवेलप्मेंट की आवश्यकता क्यों?
2022 में जन्माष्टमी के दौरान हुई भगदड़ में दो लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सितंबर 2023 में आदेश दिया कि भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के लिए कॉरिडोर योजना बनाई जाए। 15 मई 2024 को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने राज्य सरकार को लगभग पांच एकड़ जमीन के अधिग्रहण की अनुमति दी है, जो मंदिर के फंड से की जाएगी।