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बिहार के मखाने को मिला वैश्विक पहचान, एचएस कोड से बढ़ेगा निर्यात

बिहार का मखाना, जो अब वैश्विक सुपरफूड के रूप में पहचान बना रहा है, को एक विशेष एचएस कोड मिला है। यह कोड मखाने को अंतरराष्ट्रीय व्यापार मानकों के अनुसार एक स्वतंत्र उत्पाद श्रेणी का दर्जा देता है। इससे न केवल निर्यात की प्रक्रिया में सरलता आएगी, बल्कि किसानों को भी बेहतर दाम और नई वैश्विक मंडियों तक पहुंचने का अवसर मिलेगा। जानें इस नई पहचान के लाभ और मखाना उद्योग की संभावनाओं के बारे में।
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बिहार के मखाने को मिला वैश्विक पहचान, एचएस कोड से बढ़ेगा निर्यात

बिहार मखाना को मिली नई पहचान

बिहार मखाना एचएस कोड: बिहार का मखाना, जो वैश्विक सुपरफूड के रूप में प्रसिद्ध हो रहा है, अब एक विशेष पहचान प्राप्त करेगा। मिथिलांचल क्षेत्र में उगाए जाने वाले मखाने को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक खास एचएस कोड (HS Code) दिया गया है। इस एचएस कोड के माध्यम से मखाना को वैश्विक व्यापार मानकों के अनुसार एक स्वतंत्र उत्पाद श्रेणी का दर्जा मिला है, जिससे इसके निर्यात, कर निर्धारण और प्रसंस्करण की प्रक्रियाएं और अधिक सरल, पारदर्शी और औपचारिक हो जाएंगी। बिहार के दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, कटिहार और पूर्णिया जैसे जिलों में मखाना न केवल एक कृषि उत्पाद है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और पहचान का भी प्रतीक है। वर्षों से मखाना उत्पादक समुदाय इस प्रयास में जुटा था कि इसे वैश्विक पहचान मिले — अब वह सपना साकार हो गया है। कम कैलोरी वाले स्नैक्स की बढ़ती वैश्विक मांग के साथ, मखाना अब स्थानीय बाजारों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने के लिए तैयार है। यह भारत के कुल उत्पादन का 85 प्रतिशत हिस्सा है।


एचएस कोड की जानकारी
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एचएस कोड 6 अंकों का होता है।
भारत में इसका 8 अंकों का संस्करण उपयोग में लाया जाता है।
यह सीमा शुल्क में पारदर्शिता, उत्पाद की स्वीकृति में तेजी और सरकारी लाभ योजनाओं का लाभ उठाने में मदद करता है।


निर्यात में वृद्धि की संभावनाएं
मखाना सही नीतियों के समर्थन से देश की अगली बड़ी निर्यात सफलता की कहानी बनने की दिशा में अग्रसर है। मखाना उद्योग में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है, जो स्वस्थ, पौधे-आधारित स्नैक्स की बढ़ती वैश्विक मांग से प्रेरित है। मखाना का निर्यात ग्रामीण भारत के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।


1. मखाना अब अपने विशेष कोड के साथ निर्यात किया जा सकेगा।
2. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसे "मखाना" नाम से पहचान और स्वीकृति मिलेगी।
3. कस्टम क्लियरेंस, टैक्स वर्गीकरण, ई-कॉमर्स निर्यात और उद्यमिता में सरलता आएगी।
4. मखाना आधारित स्टार्टअप, प्रसंस्करण इकाइयों और एफपीओ को इससे सीधा लाभ होगा।
5. किसानों को बेहतर दाम, मांग में वृद्धि और नई वैश्विक मंडियों तक पहुंच संभव होगी।