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बिहार सरकार की ग्राम परिवहन योजना से 45 हजार ग्रामीण युवाओं को मिला रोजगार

बिहार सरकार की ग्राम परिवहन योजना ने ग्रामीण युवाओं को स्व-रोजगार के अवसर प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना के तहत 45 हजार से अधिक युवाओं ने वाहन खरीदे हैं, जबकि 3,500 से अधिक ने आवेदन किया है। योजना का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आत्मनिर्भर बनाना है। जानें इस योजना के लाभ और अनुदान की प्रक्रिया के बारे में।
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बिहार सरकार की ग्राम परिवहन योजना से 45 हजार ग्रामीण युवाओं को मिला रोजगार

बिहार में स्व-रोजगार की दिशा में कदम

बिहार समाचार: बिहार सरकार युवाओं को स्व-रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए सक्रियता से कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के तहत राज्य के दूरदराज के गांवों में युवाओं का भविष्य संवारने का प्रयास किया जा रहा है। परिवहन विभाग के अनुसार, योजना के 11वें चरण में जून 2024 तक 3,500 से अधिक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के ग्रामीण युवाओं ने वाहन खरीदने के लिए आवेदन किया है। इनमें से लगभग 900 युवाओं ने वाहनों की खरीदारी की है, जबकि अन्य लाभार्थियों को अनुदान देने की प्रक्रिया जारी है।


ग्रामीण युवाओं द्वारा वाहन खरीदने की संख्या

45 हजार ग्रामीण युवाओं ने खरीदे वाहन


मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना, जो 2018 से लागू है, के तहत कुल 55,000 वाहनों की खरीद का लक्ष्य रखा गया है। पिछले सात वर्षों में लगभग 45,000 ग्रामीण युवाओं ने वाहन खरीदे हैं, जबकि बाकी युवाओं के लिए वाहनों की खरीद और अनुदान की प्रक्रिया जारी है।


ई-रिक्शा खरीद पर अनुदान की सुविधा

ई-रिक्शा की खरीद पर मिल रहा अनुदान


राज्य के प्रत्येक पंचायत में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लाभार्थियों को अनुदान राशि प्रदान की जा रही है। राज्य सरकार अनुमानित वाहनों की खरीद मूल्य का 50 प्रतिशत या अधिकतम एक लाख रुपये का अनुदान दे रही है। ई-रिक्शा और सामान्य सवारी वाहनों की खरीद पर 50 प्रतिशत या अधिकतम 70,000 रुपये की अनुदान राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजी जा रही है। कोविड-19 महामारी के दौरान एम्बुलेंस वाहनों की खरीद पर अधिकतम दो लाख रुपये का अनुदान दिया गया था।


ग्रामीण कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित

ग्रामीण कनेक्टिविटी पर जोर : सचिव


परिवहन विभाग के सचिव डॉ. संदीप कुमार आर पुडकलकट्टी ने कहा कि यह योजना न केवल ग्रामीणों को प्रखंड और जिला मुख्यालयों से जोड़ रही है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आत्मनिर्भर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। विभाग यह सुनिश्चित कर रहा है कि हर पंचायत में योग्य लाभार्थियों को इसका लाभ मिले।