बुरी यादों से छुटकारा पाने के नए तरीके: शोध से मिली जानकारी

बुरी यादों का प्रभाव और शोध का उद्देश्य
कई बार, एक बुरी घटना या दुर्घटना हमें लंबे समय तक परेशान करती है। इसका कारण यह है कि इससे जुड़ी नकारात्मक और डरावनी यादें हमारे मस्तिष्क में छिपी रहती हैं, जो समय-समय पर बाहर आकर हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। यह स्थिति आमतौर पर पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) के कारण होती है।
शोध का विवरण
हाल ही में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन किया, जिसमें उन्होंने यह पता लगाया कि मस्तिष्क में बुरी यादें कहाँ छिपी रहती हैं। यह जानकर हैरानी होती है कि ये यादें मस्तिष्क के एक महत्वपूर्ण हिस्से में स्थित होती हैं। जब एक बुरी याद बाहर आती है, तो अन्य भी उसके साथ बाहर आ जाती हैं।
मस्तिष्क की संरचना और बुरी यादें
शोधकर्ताओं ने एक चूहे का उपयोग किया, जिसके मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं को इंजीनियर किया गया था ताकि डर या दर्द की स्थिति में उसकी प्रतिक्रिया देखी जा सके। मस्तिष्क के उस क्षेत्र का निरीक्षण किया गया जहां यह तंत्रिका सक्रिय होती है।
जब चूहे को बिजली के झटके दिए गए और फिर उसे छोड़ दिया गया, तो एक महीने बाद जब उसे उसी स्थान पर लाया गया, तो वह स्थिर खड़ा था। उसके मस्तिष्क की तंत्रिका सक्रिय हो गई। वैज्ञानिकों ने जब चूहे के मस्तिष्क के नमूने लिए, तो उन्हें पता चला कि डरावनी यादें उस हिस्से में छिपी होती हैं, जहां से निर्णय लिए जाते हैं।
डरावनी यादों का प्रभाव
न्यूरोसाइंटिस्ट जुन-ह्योंग चो के अनुसार, मस्तिष्क का वह हिस्सा जिसे प्री-फ्रंटल कॉर्टेक्स (पीएफसी) कहा जाता है, निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब कोई व्यक्ति उस स्थान पर पहुंचता है जहां उसे दर्द हुआ था, तो डरावनी यादें बाहर आने लगती हैं। इससे ट्रॉमेटिक स्ट्रेस उत्पन्न होता है।
जुन-ह्योंग चो ने बताया कि बिजली के झटके जैसी अन्य डरावनी यादें भी मानव मस्तिष्क के प्री-फ्रंटल कॉर्टेक्स में छिपी हो सकती हैं। जब कोई व्यक्ति ऐसी घटनाओं से गुजरता है, तो पुरानी यादें सामने आ जाती हैं, जिससे प्री-फ्रंटल मेमोरी का सर्किट खराब हो जाता है।
PTSD और इसके उपचार
अमेरिका में लगभग 6 प्रतिशत लोग पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से प्रभावित हैं। यह अध्ययन यह समझने में मदद करेगा कि विभिन्न व्यक्तियों को उनके डर और पुरानी यादों से कैसे मुक्त किया जा सकता है। साथ ही, PTSD जैसी समस्याओं का उपचार कैसे किया जा सकता है। यह अध्ययन हाल ही में नेचर न्यूरोसाइंस में प्रकाशित हुआ है।