भारत में आईफोन निर्माण: अमेरिका की तुलना में बेहतर विकल्प

भारत में आईफोन निर्माण की चुनौतियाँ
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनुरोध के बावजूद, ऐपल के लिए अमेरिका में आईफोन का निर्माण करना भारत की तुलना में कहीं अधिक कठिन है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक विस्तृत रिपोर्ट में यह बताया गया है कि ऐपल क्यों भारत में आईफोन का उत्पादन करना पसंद करेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बेंगलुरु के देवनहल्ली क्षेत्र में फॉक्सकॉन के प्रोजेक्ट की स्थापना के बाद से इस क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ है। 300 एकड़ में फैली इस साइट ने कई अन्य कंपनियों को भी आकर्षित किया है। फॉक्सकॉन ने यहां ढाई अरब डॉलर का निवेश किया है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण हर साल 1 करोड़ नई नौकरियों की आवश्यकता है। भारत में पहले से ही विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में कर्मचारियों की कमी है। इस स्थिति में, भारत में कम वेतन पर कर्मचारी आसानी से मिल जाते हैं, जबकि अमेरिका में ऐसा नहीं है। यही कारण है कि ऐपल अमेरिका के बजाय भारत में आईफोन का निर्माण करना पसंद करती है।
भारत में आईफोन की असेंबलिंग का कार्य फॉक्सकॉन कर रही है, जो इस जिम्मेदारी को विश्व स्तर पर निभा रही है। कोरोना महामारी से पहले, आईफोन का अधिकांश उत्पादन चीन में होता था। हालांकि, महामारी के दौरान आपूर्ति श्रृंखला में बाधाओं के कारण और किसी एक देश पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से ऐपल ने भारत की ओर रुख किया। काउंटरपॉइंट रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल की शुरुआत तक, दुनिया भर में बिकने वाले आईफोन्स में से 18 प्रतिशत भारत में निर्मित थे।
अनुमान है कि इस साल के अंत तक लगभग 30 प्रतिशत आईफोन भारत में ही बनाए जाएंगे। तब तक देवनहल्ली स्थित फॉक्सकॉन का प्लांट पूरी तरह से चालू हो जाएगा, जिसमें वर्तमान में 8,000 लोग कार्यरत हैं, और जब यह पूरी क्षमता से काम करेगा, तो यह संख्या 40,000 तक पहुंच जाएगी। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में प्लांट के लिए जमीन प्राप्त करना अब आसान हो गया है, और नौकरियों के लिए लोग भी आसानी से उपलब्ध हैं। इसके अलावा, फॉक्सकॉन के पास कई ताइवानी, अमेरिकी और दक्षिण कोरियाई कंपनियों ने अपने प्लांट स्थापित किए हैं, जो आवश्यक पार्ट्स की आपूर्ति करती हैं।