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भारत में पुरानी पेंशन योजना: एक नज़र में बदलाव और पुनरारंभ

भारत में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) का इतिहास और इसके पुनरारंभ की प्रक्रिया पर एक विस्तृत दृष्टि। जानें कि किस प्रकार विभिन्न राज्यों ने इस योजना को फिर से लागू किया है और इसके पीछे के कारण क्या हैं। इस लेख में हम ओपीएस के बंद होने और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के आरंभ के बारे में भी चर्चा करेंगे।
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भारत में पुरानी पेंशन योजना: एक नज़र में बदलाव और पुनरारंभ

पुरानी पेंशन योजना का परिचय


पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) एक ऐसी योजना है, जिसमें सरकारी कर्मचारियों की पेंशन उनके सेवानिवृत्ति के समय के वेतन पर निर्भर करती थी। इस योजना के अंतर्गत, सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु के बाद उनके परिवार के सदस्यों को भी पेंशन का लाभ मिलता था। हालांकि, केंद्र सरकार ने पेंशन सुधारों के तहत इस योजना को समाप्त कर दिया, और यह 1 जनवरी 2004 से लागू नहीं रही। इस योजना में महंगाई भत्ते सहित अंतिम वेतन का आधा हिस्सा एक निश्चित पेंशन के रूप में प्रदान किया जाता था।


राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली का आरंभ

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को 22 दिसंबर 2003 को लागू किया गया। इसके तहत पुरानी पेंशन योजना को समाप्त किया गया। जबकि ओपीएस में सेवानिवृत्ति के समय अंतिम मूल वेतन का 50 प्रतिशत तक निश्चित पेंशन मिलती थी। पुरानी पेंशन योजनाएं सेवानिवृत्ति के बाद गारंटीकृत आय भी प्रदान करती थीं।


ओपीएस का बंद होना और नया सिस्टम

हालांकि, एनडीए सरकार ने 2004 में पुरानी पेंशन योजना को समाप्त कर दिया। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम की शुरुआत की। ओपीएस के तहत सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को साल में दो बार महंगाई राहत में संशोधन का लाभ मिलता था। डीओपीटी ने बताया है कि सिविल सेवा परीक्षा 2003, 2004 और भारतीय वन सेवा परीक्षा 2003 के माध्यम से चुने गए एआईएस के सदस्य इस योजना के तहत कवर किए जाने के योग्य हैं।


राज्यों द्वारा ओपीएस का पुनरारंभ

राजस्थान ने अप्रैल 2022 में पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया। इसके बाद, छत्तीसगढ़ ने दिसंबर 2022 में, झारखंड और पंजाब ने अक्टूबर 2022 में, और हिमाचल प्रदेश ने 17 अप्रैल 2023 को इस योजना को अधिसूचित किया। पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) एक सुरक्षित पेंशन योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है।