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भारत में सोने के गहनों की बढ़ती मांग: 9 और 14 कैरेट की कीमतें आसमान छू रही हैं

भारत में सोने के गहनों की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है, खासकर 9 और 14 कैरेट के गहनों की। सोने की कीमतें भी तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे आम उपभोक्ताओं के लिए महंगे गहनों की खरीदारी करना मुश्किल हो गया है। पिछले जून में सोने की बिक्री में 60 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो इस बात का संकेत है कि कम बजट वाले खरीदार बाजार से बाहर हो गए हैं। जानें इस स्थिति के पीछे के कारण और वैश्विक वित्तीय परिवर्तनों का प्रभाव।
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भारत में सोने के गहनों की बढ़ती मांग: 9 और 14 कैरेट की कीमतें आसमान छू रही हैं

सोने के गहनों की बढ़ती मांग

नौ कैरेट और 14 कैरेट के गहनों की मांग हाल के समय में अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गई है। वर्तमान में, नौ कैरेट सोने की कीमत प्रति दस ग्राम लगभग 35,000 रुपये है, जबकि 14 कैरेट सोने का मूल्य लगभग 59,000 रुपये तक पहुंच गया है।


भारत में स्वर्ण रिटेल व्यापारियों की उम्मीदें अब हल्के गहनों पर टिकी हुई हैं। सोने की बढ़ती कीमतों के कारण महंगे गहने आम उपभोक्ताओं की पहुंच से बाहर हो गए हैं। इस समय, 24 कैरेट सोने की कीमत एक लाख रुपये के करीब है, जबकि 22 कैरेट सोने की कीमत 91,000 से 92,000 रुपये के बीच है। भारत में सोने के गहनों का सांस्कृतिक महत्व हमेशा से रहा है, लेकिन अब उन लोगों के लिए जो एक लाख रुपये का बजट रखते हैं, गहनों की खरीदारी करना मुश्किल हो गया है।


सोने की बिक्री में गिरावट

कम बजट वाले खरीदारों के बाजार से बाहर होने का परिणाम यह हुआ कि पिछले जून में सोने की बिक्री में 60 प्रतिशत की अभूतपूर्व गिरावट आई। यह गिरावट केवल कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के समय देखी गई थी, जो एक असाधारण स्थिति थी। हालाँकि, यह सोने की महंगाई अस्थायी नहीं है। यह वैश्विक वित्तीय प्रणाली में तेजी से आ रहे परिवर्तनों का परिणाम है।


1971 के बाद पहली बार, दीर्घकालिक प्रवृत्ति के तहत केंद्रीय बैंक और निवेशक डॉलर के बजाय सोने का भंडार बना रहे हैं। कई देश डॉलर बेचकर सोना खरीद रहे हैं, जो अमेरिकी डॉलर की गिरती साख और उसमें घटते विश्वास का संकेत है। अब तक डॉलर विश्व मुद्रा रहा है, लेकिन कई देश अब अपनी मुद्राओं में अंतरराष्ट्रीय भुगतान को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस संदर्भ में, अपनी मुद्रा को मजबूत करने के लिए उनके लिए अपने भंडार में सोना रखना आवश्यक हो गया है। पिछले तीन वर्षों में सोने की खरीदारी का जो संगठित तरीका देखा गया है, वह पिछले दशकों में कभी नहीं हुआ। इसके परिणामस्वरूप, विश्व स्तर पर सोने की कीमतें बढ़ी हैं, और इसका असर भारतीय उपभोक्ताओं पर भी पड़ रहा है।