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भूलने के बावजूद यादें कैसे बनाती हैं हमारे निर्णयों को प्रभावित

क्या आप जानते हैं कि भुला दी गई यादें भी हमारे निर्णयों को प्रभावित कर सकती हैं? हाल ही में एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि हमारे मस्तिष्क में दबा हुआ ज्ञान हमारे रोजमर्रा के फैसलों पर असर डालता है। येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह साबित किया है कि भले ही हम कुछ यादें भूल जाएं, लेकिन वे हमारे व्यवहार को गहराई से प्रभावित करती हैं। इस लेख में जानें कि कैसे ये यादें हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को आकार देती हैं और विशेषज्ञों की राय क्या है।
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भूलने के बावजूद यादें कैसे बनाती हैं हमारे निर्णयों को प्रभावित

यादों का प्रभाव: एक नई खोज


क्या आप कभी सोचते हैं कि भुला दी गई बातें हमारे निर्णयों पर असर डाल सकती हैं? यह सवाल शायद हमें गहराई से सोचने पर मजबूर करता है। वैज्ञानिकों ने इस विषय पर गहन अध्ययन किया है और एक महत्वपूर्ण खोज की है, जो मस्तिष्क के रहस्यों को उजागर करती है।




कैसे प्रभावित करती हैं यादें?


हाल ही में नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने बताया है कि भले ही हम किसी पुरानी बात को याद न कर पाएं, फिर भी वह हमारे दैनिक निर्णयों को प्रभावित करती है। येल यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट निक टर्क-ब्राउन के अनुसार, हमारा मस्तिष्क दिनभर पुरानी यादों में नहीं खोया रहता, बल्कि 95% मस्तिष्क इन यादों को कहीं दबा कर रखता है। ये यादें हमारे हर कार्य में छिपी होती हैं, चाहे वह कार्यस्थल हो, पालन-पोषण, खरीदारी या घरेलू काम।


बच्चों पर मोबाइल स्क्रीन का प्रभाव


शोधकर्ताओं ने fMRI स्कैन का उपयोग करते हुए 60 व्यक्तियों के मस्तिष्क का अध्ययन किया। इन व्यक्तियों को कुछ तस्वीरें और शब्द दिखाए गए, जिन्हें वे बाद में भूल गए। लेकिन जब उनसे निर्णय लेने को कहा गया, तो उन भूली हुई यादों का प्रभाव उनके मन पर स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। यह दर्शाता है कि ये यादें भले ही हर समय याद न रहें, लेकिन ये हमारे व्यवहार को प्रभावित करती हैं।


यादों का दैनिक जीवन पर प्रभाव


मान लीजिए, आप किसी दुकान पर कुछ खरीदने गए हैं और वहां एक विशेष वस्तु ने आपका ध्यान खींचा। यह संभव है कि आपका यह निर्णय किसी पुरानी भूली हुई याद से प्रभावित हो। इसी तरह, शिक्षा और मार्केटिंग के क्षेत्र में यह खोज शिक्षण विधियों को बदल सकती है। मार्केटिंग कंपनियां भी इसका लाभ उठा सकती हैं, क्योंकि यह ग्राहकों की पसंद को समझने में मदद कर सकती है। भारत में, जहां संस्कृति और परंपराओं की शिक्षा दी जाती है, ये यादें पारिवारिक निर्णयों जैसे शादी या त्योहारों के आयोजन को भी प्रभावित कर सकती हैं।


विशेषज्ञों की राय


मनोवैज्ञानिक डॉ. विधि एम पिलनिया का कहना है कि यह अध्ययन मस्तिष्क की जटिलताओं को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह शोध हमें अपने व्यवहार को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस खोज को और गहराई से समझने के लिए व्यापक शोध की आवश्यकता है। लेकिन यह स्पष्ट है कि हमारा मस्तिष्क एक रहस्यमय खजाना है, जो भूली हुई यादों को भी सुरक्षित रखता है।