यमुना प्राधिकरण ने निंबस प्रोजेक्ट्स को 5 साल का शून्य काल दिया

ग्रेटर नोएडा में आवासीय परियोजनाओं को मिली राहत
Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा के यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में कई वर्षों से रुकी हुई आवासीय परियोजनाओं के संबंध में शासन ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। निंबस प्रोजेक्ट्स लिमिटेड की लंबित परियोजना को राहत देते हुए शासन ने लगभग 5 वर्षों के लिए शून्य काल का लाभ प्रदान किया है। इसके साथ ही, परियोजना को पूरा करने के लिए समय विस्तार और भूमि का पुनः आवंटन यीडा (यमुना प्राधिकरण) पर छोड़ दिया गया है।
पीएसपी के तहत आवेदन की प्रक्रिया
औद्योगिक विकास विभाग द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि बिल्डर को पीएसपी (पार्टनरशिप स्कीम पालिसी) के तहत आवेदन करने की अवधि को शून्य काल माना जाएगा। यह अवधि 2017 से अगस्त 2022 तक निर्धारित की गई है। इस दौरान हुई सभी देरी को गैर-उत्तरदायी मानते हुए बिल्डर को किसी भी प्रकार का दंड या ब्याज नहीं देना होगा।
2012 में हुआ था भूखंड का आवंटन
यमुना प्राधिकरण ने वर्ष 2012 में सेक्टर 22ए में निंबस प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को 102995.7 वर्गमीटर का भूखंड आवंटित किया था। बिल्डर ने इस पर आईआईटीएल निंबस द पाम विलेज नामक परियोजना शुरू की और 2014 में नक्शा स्वीकृत कराया। इस परियोजना के तहत 1906 फ्लैटों का प्रस्ताव था।
18 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग
प्राधिकरण ने बाद में बिल्डर से किसानों के अतिरिक्त मुआवजे के लिए 18 करोड़ रुपये से अधिक की मांग की। इसके अलावा, बिल्डर के पीएसपी नीति के तहत किए गए आवेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया, जिससे परियोजना अधर में लटक गई।
भूमि का कुछ हिस्सा लौटाया गया
यीडा के निर्णय के बाद, बिल्डर ने भूमि का एक हिस्सा प्राधिकरण को लौटा दिया, लेकिन यीडा की ओर से ब्याज सहित बकाया राशि की मांग जारी रही। लगातार बदलते और विरोधाभासी निर्णयों से परेशान होकर बिल्डर ने शासन में अपील की। अपनी याचिका में बिल्डर ने किसान आंदोलन और कोविड-19 के प्रभावों का हवाला देते हुए राहत की मांग की थी।
निर्माण पूरा करने के लिए समय मिला
शासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए निर्णय लिया कि बिल्डर को शून्य काल का लाभ दिया जाए और निर्माण पूरा करने के लिए समय विस्तार तथा भूमि का पुनः आवंटन यीडा पर छोड़ दिया जाए। इस निर्णय से जहां बिल्डर को राहत मिली है, वहीं यीडा की विरोधाभासी नीतियों और निर्णयों पर भी सवाल उठे हैं।