यूएई ने गोल्डन वीजा के फर्जी दावों का किया खंडन

यूएई सरकार का स्पष्ट बयान
फर्जी वीजा समाचार: संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने उन सभी दावों का खंडन किया है, जिनमें कहा गया था कि भारतीय और कुछ अन्य देशों के नागरिक अब एकमुश्त भुगतान करके आजीवन गोल्डन वीजा प्राप्त कर सकते हैं। यह स्पष्टीकरण तब आया जब हाल ही में भारत सहित कुछ देशों के मीडिया में यह खबर फैली कि लगभग ₹23.3 लाख का भुगतान करके कोई व्यक्ति यूएई में स्थायी निवास का अधिकार प्राप्त कर सकता है।
यूएई प्राधिकरण का आधिकारिक बयान
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यूएई के पहचान, नागरिकता, सीमा शुल्क और बंदरगाह सुरक्षा के लिए संघीय प्राधिकरण ने 8 जुलाई को एक आधिकारिक बयान जारी किया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि ऐसी कोई "नामांकन-आधारित योजना" मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा कि गोल्डन वीजा के लिए आवेदन केवल यूएई सरकार के आधिकारिक पोर्टलों के माध्यम से ही स्वीकार किए जाते हैं, न कि किसी बाहरी सलाहकार या निजी एजेंसी के माध्यम से।
ICP ने झूठा बताया दावा
ICP ने दावे को बताया झूठा
कुछ परामर्श फर्मों ने पहले प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दावा किया था कि उनके पास योग्य उम्मीदवारों के नामांकन और वीजा प्रक्रिया में सहायता करने का अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के तहत पृष्ठभूमि जांच, धन शोधन निवारण अनुपालन और आर्थिक योगदान का मूल्यांकन किया जाता है। लेकिन ICP ने इस दावे को "भ्रामक और झूठा" बताते हुए खारिज कर दिया।
फर्जी विज्ञप्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई
फर्जी विज्ञप्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई
यूएई सरकार ने चेतावनी दी है कि वह इस प्रकार की फर्जी विज्ञप्तियों और धोखाधड़ी के प्रयासों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने पर विचार कर रही है। प्राधिकरण ने दोहराया कि ऐसे किसी भी वीजा आवेदन या प्रक्रिया का कोई कानूनी आधार नहीं है, और इस प्रकार की गतिविधियाँ आवेदकों की उम्मीदों का अनुचित शोषण हैं।
आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से आवेदन
आधिकारिक वेबसाइट के जरिए आवेदन
प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि गोल्डन वीजा प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्तियों को केवल आधिकारिक वेबसाइट या स्मार्ट एप्लिकेशन के माध्यम से आवेदन करना चाहिए। उन्होंने आम जनता से अपील की है कि वे किसी भी तृतीय पक्ष की "गारंटी" या "तेज मंजूरी" जैसे झूठे वादों में न आएं।
वित्तीय शोषण को रोकने का प्रयास
वित्तीय शोषण को रोकने का प्रयास
यूएई सरकार का यह कदम न केवल पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में है, बल्कि संभावित धोखाधड़ी और वित्तीय शोषण को रोकने का प्रयास भी है। इस मामले में फर्जी दावों से लाभ उठाने वाले एजेंट्स के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।