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लपसी और तपसी की प्रेरणादायक कथा: करवा चौथ पर सुनें

करवा चौथ और संकष्टी चतुर्थी के अवसर पर लपसी और तपसी की कथा सुनना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। यह कथा दो भाईयों के बीच की प्रतिस्पर्धा और नारद मुनि द्वारा दी गई सीख को दर्शाती है। जानें कैसे तपसी की चोरी की आदत ने उसे दंडित किया और लपसी की भक्ति ने उसे पुण्य दिलाया। इस कथा के माध्यम से व्रत के महत्व को समझें और जानें नारद जी की महत्वपूर्ण शिक्षाएँ।
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लपसी और तपसी की प्रेरणादायक कथा: करवा चौथ पर सुनें

लपसी और तपसी की कथा का महत्व


करवा चौथ और संकष्टी चतुर्थी के अवसर पर लपसी और तपसी की कहानी सुनना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। यह कथा सुनने से व्रत के दौरान अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। कथा में लपसी और तपसी नामक दो भाईयों का जिक्र है। तपसी अपनी तपस्या में लीन रहता था, जबकि लपसी भगवान को भोग लगाकर खुद भी लपसी का सेवन करता था। एक दिन, दोनों ने नारद मुनि से पूछा कि उनमें से कौन बड़ा भक्त है। आइए जानते हैं कि नारद ने उनकी परीक्षा कैसे ली।


कथा का सार


लपसी और तपसी के बीच एक दिन झगड़ा हुआ। तपसी ने दावा किया कि वह बड़ा है, जबकि लपसी ने भी यही कहा। तभी नारद मुनि वहां आए और दोनों से पूछा कि वे क्यों लड़ रहे हैं। तपसी ने कहा कि वह भगवान की पूजा करती है। नारद ने कहा कि वह अगले दिन उनके भाग्य का निर्णय करेंगे।


अगले दिन, नारद ने दोनों के सामने एक अंगूठी रखी। तपसी ने उसे छिपा लिया, जबकि लपसी ने उसे फेंक दिया। नारद ने तपसी को बताया कि उसकी चोरी की आदत के कारण उसे कोई फल नहीं मिलेगा। तपसी ने क्षमा मांगी और नारद ने उसे बताया कि उसे अपनी आदत से छुटकारा पाने के लिए कार्तिक व्रत करने वाली महिलाओं से पुण्य प्राप्त करना होगा।


नारद जी की सीख

नारद जी ने कहा कि यदि कोई गाय और कुत्ते के लिए रोटी नहीं बनाएगा, तो उसे इसका फल मिलेगा।


यदि कोई ब्राह्मण को दक्षिणा नहीं देगा, तो उसे इसका फल मिलेगा।


यदि कोई साड़ी के साथ ब्लाउज नहीं देगा, तो उसे इसका फल मिलेगा।


यदि कोई दीपक से दीपक जलाएगा, तो उसे इसका फल मिलेगा।


यदि कोई पूरी कथा सुन ले, लेकिन उसकी नहीं सुन पाए, तो उसे इसका फल मिलेगा।


इस प्रकार, हर व्रत कथा के साथ लपसी और तपसी की कहानी सुनाई जाती है।