वास्तु शास्त्र के अनुसार जल तत्व की दिशा: जानें नल, शावर और गीजर की सही स्थिति

जल तत्व की दिशा का महत्व
Water Tap Direction in Vastu: वास्तु शास्त्र केवल घर की संरचना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन की हर छोटी-बड़ी चीज़ की दिशा और ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करने की कला है। विशेष रूप से जल से संबंधित वस्तुएं जैसे नल, शावर, बेसिन और गीजर यदि गलत दिशा में स्थापित की जाएं, तो यह जीवन में नकारात्मक ऊर्जा, आर्थिक समस्याएं और मानसिक तनाव उत्पन्न कर सकती हैं।
जल से संबंधित वस्तुओं की दिशा
देश के प्रमुख वास्तु विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल से जुड़ी सभी चीज़ों को वास्तु के अनुसार सही दिशा में रखा जाए, तो घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। पानी की दिशा का घर के आर्थिक और पारिवारिक हालात पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
नल और शावर की शुभ दिशा
नल और शावर की शुभ दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में नल और शावर को उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना सबसे शुभ माना जाता है। इसे ईशान कोण भी कहा जाता है, जो जल तत्व का प्रतीक है। इस दिशा में जल से संबंधित वस्तुएं रखने से मानसिक शांति और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
वाश बेसिन की दिशा
वाश बेसिन की दिशा भी रखती है महत्व
वाश बेसिन को वास्तु के अनुसार उत्तर या ईशान कोण में स्थापित करना चाहिए। यह दिशा मानसिक शुद्धता और पारिवारिक सौहार्द बनाए रखने में सहायक मानी जाती है।
गीजर की सही दिशा
गीजर के लिए सही दिशा
गीजर को दक्षिण-पूर्व दिशा यानी आग्नेय कोण में लगाना चाहिए। यह दिशा अग्नि तत्व की मानी जाती है और गीजर जैसे ऊष्मा देने वाले उपकरण यहां सबसे संतुलित रूप से कार्य करते हैं।
बाथ टब की दिशा
बाथ टब की सही दिशा
यदि आपके बाथरूम में बाथ टब है, तो इसे उत्तर या ईशान कोण में रखना शुभ माना जाता है। यह दिशा मन को शांति देने वाली होती है और बाथ टब जैसे रिलैक्सेशन जोन के लिए उपयुक्त है।
जल निकासी की दिशा
जल निकासी की दिशा कैसी होनी चाहिए?
घर से जल निकासी की व्यवस्था हमेशा उत्तर दिशा में होनी चाहिए। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए सही है, बल्कि आर्थिक स्थिति को भी संतुलित बनाए रखने में मदद करती है। यदि नल या शावर से लगातार पानी टपकता रहे, तो यह आर्थिक समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए इनका नियमित निरीक्षण और मरम्मत करवाना अत्यंत आवश्यक है।