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सावन में कांवड़ियों की सेवा: प्रकाश राम का 25 वर्षों का समर्पण

सावन का महीना हिंदू धर्म में भगवान शिव की आराधना का महत्वपूर्ण समय है। इस दौरान लाखों शिव भक्त कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं। झारखंड के पलामू में, प्रकाश राम पिछले 25 वर्षों से कांवड़ियों की सेवा में जुटे हैं। उनका निःस्वार्थ सेवा शिविर, जहां कांवड़ियों को भोजन, पानी और प्राथमिक उपचार मिलता है, एक अद्भुत उदाहरण है। जानें कैसे यह सेवा शिविर कांवड़ियों के लिए संजीवनी बन गया है और प्रकाश राम की प्रेरणादायक कहानी।
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सावन में कांवड़ियों की सेवा: प्रकाश राम का 25 वर्षों का समर्पण

सावन का पावन महीना और कांवड़ यात्रा

सावन का महीना हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का सबसे महत्वपूर्ण समय माना जाता है। इस दौरान, लाखों शिव भक्त 'कांवड़ यात्रा' पर निकलते हैं, कठिन रास्तों पर चलकर पवित्र नदियों से गंगाजल लाते हैं और भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। यह यात्रा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और त्याग का प्रतीक है। झारखंड के पलामू जिले में, एक व्यक्ति पिछले 25 वर्षों से इस पवित्र यात्रा पर निकले कांवड़ियों की सेवा में जुटा हुआ है। यह कहानी है प्रकाश राम और उनके परिवार द्वारा संचालित अद्भुत सेवा शिविर की, जो हर साल सावन के महीने में कांवड़ियों के लिए संजीवनी बन जाता है।


25 वर्षों से अनवरत सेवा: महादेव के भक्तों का सच्चा साथी! तपती धूप या मूसलाधार बारिश में, नंगे पांव सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करने वाले कांवड़ियों की थकान और प्यास के बीच, पलामू-डाल्टनगंज मुख्य मार्ग पर स्थित सेवा शिविर उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। प्रकाश राम, जो स्वयं महादेव के अनन्य भक्त हैं, ने 25 साल पहले इस निःशुल्क सेवा शिविर की शुरुआत की थी। उनका उद्देश्य कांवड़ियों को थोड़ी राहत प्रदान करना, उन्हें भोजन, पानी और प्राथमिक उपचार जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना था। यह शिविर अब पलामू के स्थानीय लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन चुका है, जहां वे प्रकाश राम के इस महान कार्य में योगदान देते हैं।


सावन का महीना शुरू होते ही, पलामू में इस सेवा शिविर में रौनक छा जाती है। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड के विभिन्न हिस्सों से आने वाले कांवड़िए यहां रुककर अपनी थकान मिटाते हैं। शिविर में कांवड़ियों को स्वादिष्ट भोजन, शुद्ध पेयजल, नींबू पानी और चाय की व्यवस्था की जाती है। सबसे खास बात यह है कि यह सब बिल्कुल निःशुल्क होता है। प्रकाश राम और उनके परिवार के सदस्य, अपने हाथों से कांवड़ियों को भोजन परोसते हैं, उनकी सेवा करते हैं। यह नजारा भक्ति और सेवा के संगम का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता है।


कांवड़ यात्रा एक तपस्या है। शिव भक्त इस दौरान अनेक कष्ट सहते हुए अपनी मंजिल की ओर बढ़ते हैं। ऐसे में, मार्ग में मिलने वाला थोड़ा सा सहारा भी उनके लिए बहुत मायने रखता है। प्रकाश राम का यह सेवा शिविर सिर्फ भोजन और पानी तक सीमित नहीं है, बल्कि यहां कांवड़ियों के लिए प्राथमिक उपचार की भी व्यवस्था रहती है। यदि किसी कांवड़िये के पैरों में छाले पड़ जाएं या उसे किसी अन्य तरह की स्वास्थ्य समस्या हो, तो उसे तुरंत सहायता मिलती है। यह शिविर कांवड़ियों को रात में विश्राम करने के लिए सुरक्षित स्थान भी प्रदान करता है, जिससे वे अपनी यात्रा को अगले दिन नई ऊर्जा के साथ फिर से शुरू कर सकें।


हिंदू धर्म में, सावन माह में कांवड़ यात्रा का विशेष धार्मिक महत्व है। माना जाता है कि इस दौरान भगवान शिव पर गंगाजल चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पापों से मुक्ति मिलती है। ऐसे में, कांवड़ियों की सेवा करना भी एक बड़ा पुण्य का कार्य माना जाता है। प्रकाश राम और उनका परिवार इस सेवा को केवल एक सामाजिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि अपनी आध्यात्मिक यात्रा का एक अभिन्न अंग मानते हैं। उनके लिए, हर एक कांवड़िये की सेवा स्वयं भगवान शिव की आराधना के समान है। यह निःस्वार्थ सेवा भाव ही उन्हें पिछले 25 सालों से लगातार यह शिविर चलाने की प्रेरणा देता रहा है।


प्रकाश राम, जो पेशे से एक साधारण व्यवसायी हैं, अपनी मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा इस सेवा शिविर में लगाते हैं। उनके इस कार्य में उनका परिवार और मित्र भी बढ़-चढ़कर सहयोग करते हैं। यह शिविर केवल एक अस्थायी पड़ाव नहीं, बल्कि कांवड़ियों के लिए एक ऐसा केंद्र बन गया है जहां उन्हें न केवल शारीरिक राहत मिलती है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी मिलती है। 25 वर्षों से अनवरत चली आ रही यह सेवा, प्रकाश राम के अटूट संकल्प और भगवान शिव के प्रति उनकी गहरी आस्था का प्रमाण है। यह दर्शाता है कि कैसे एक व्यक्ति अपनी श्रद्धा और सेवा भाव से समाज में एक बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकता है।


कांवड़ यात्रा, भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक जीवंत उदाहरण है। यह लाखों लोगों को एक साथ लाती है और एकता तथा भाईचारे का संदेश देती है। इस यात्रा को सुगम बनाने में प्रकाश राम जैसे निस्वार्थ सेवकों का योगदान अमूल्य है। उनका सेवा शिविर पलामू की पहचान बन चुका है, जहां से हर साल हजारों कांवड़िए आशीर्वाद और नई ऊर्जा लेकर अपनी यात्रा पूरी करते हैं। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि सच्ची भक्ति केवल पूजा-पाठ में ही नहीं, बल्कि मानव सेवा में भी निहित है।