होम लोन पर ब्याज दर में कमी: जानें कैसे करें बचत

रेपो रेट में कमी का असर
यदि आप घर खरीदने की योजना बना रहे हैं या पहले से होम लोन ले चुके हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर आई है। भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की कमी की है। यह इस वर्ष की तीसरी बार है, जिससे कुल 1 प्रतिशत की गिरावट हो चुकी है। इस निर्णय का सीधा लाभ होम लोन धारकों को मिलेगा, क्योंकि ब्याज दरों में कमी से आपकी मासिक किस्त, यानी EMI, कम हो सकती है। इससे न केवल लोन लेना सस्ता होगा, बल्कि होम लोन का बोझ भी हल्का महसूस होगा।
ब्याज दरों में कमी का प्रभाव
कम ब्याज दरों का प्रभाव उन लोगों पर सीधे पड़ेगा जो नई प्रॉपर्टी खरीदने की सोच रहे हैं या पहले से लोन चुका रहे हैं। ब्याज दरों में यह कमी लोन की कुल लागत को भी घटा सकती है, जिससे लंबे समय में लाखों रुपये की बचत संभव है। लेकिन इसके लिए कुछ स्मार्ट कदम उठाना आवश्यक है और लोन प्रबंधन को रणनीतिक रूप से अपनाना होगा।
EMI पर ब्याज दर में कटौती का प्रभाव
मान लीजिए आपने 20 वर्षों के लिए होम लोन लिया है और पहले ब्याज दर 9.5 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 8.5 प्रतिशत हो गई है। इस एक प्रतिशत की कमी से विभिन्न लोन अमाउंट पर आपकी मासिक किस्त में महत्वपूर्ण अंतर आएगा।
यदि आपने 30 लाख रुपये का लोन लिया है, तो आपकी EMI हर महीने लगभग 1,929 रुपये कम हो जाएगी और कुल ब्याज में लगभग 4.63 लाख रुपये की बचत होगी।
50 लाख रुपये के लोन पर यह बचत बढ़कर 3,215 रुपये प्रति माह हो जाएगी, जिससे कुल ब्याज में 7.71 लाख रुपये की राहत मिलेगी।
75 लाख रुपये के लोन पर हर महीने की EMI में 4,823 रुपये की कमी आएगी और कुल ब्याज में 11.58 लाख रुपये की बचत हो सकती है।
1 करोड़ रुपये के लोन पर हर महीने करीब 6,431 रुपये की EMI में कटौती होगी, जिससे कुल बचत लगभग 15.43 लाख रुपये हो सकती है।
स्मार्ट उपायों से बचत बढ़ाएं
रेपो रेट में कमी का लाभ तभी अधिक मिलेगा जब आप कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाएं। केवल ब्याज दर में कमी का इंतजार करने के बजाय नीचे दिए गए सुझावों को अपनाकर आप अपने लोन की लागत और अवधि को नियंत्रित कर सकते हैं।
EMI कम कराने के बजाय वही पुरानी EMI जारी रखें: ब्याज दर घटने के बाद बैंक आपकी EMI को कम करने का विकल्प दे सकते हैं, लेकिन यदि आप पहले जितनी ही EMI भरते रहें तो आपका लोन जल्दी चुकता हो सकता है। इससे ब्याज का बोझ काफी कम होगा और लोन की अवधि भी घटेगी।
लोन की अवधि को कम करें: यदि आपकी वित्तीय स्थिति स्थिर है और मासिक आय में वृद्धि हुई है, तो लोन की अवधि को 20 साल से घटाकर 15 या 10 साल करने का प्रयास करें। इससे EMI थोड़ी बढ़ेगी, लेकिन ब्याज में भारी बचत होगी।
समय-समय पर प्री-पेमेंट करें: हर साल मिलने वाले बोनस, बचत या कोई अतिरिक्त आय का उपयोग होम लोन के प्री-पेमेंट के लिए करें। इससे मूलधन तेजी से कम होगा और कुल ब्याज भी घटेगा। अधिकतर बैंकों ने अब प्री-पेमेंट पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं रखा है, जिससे यह प्रक्रिया और भी फायदेमंद हो गई है।
अपनी EMI की बचत का आकलन करें
यदि उपरोक्त उदाहरण आपके लोन अमाउंट से मेल नहीं खाते हैं, तो आप खुद भी EMI और ब्याज की बचत का हिसाब लगा सकते हैं। इसके लिए किसी भी बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध EMI कैलकुलेटर का उपयोग करें। इसमें पुरानी और नई ब्याज दर, लोन अमाउंट और अवधि भरकर आसानी से EMI का अंतर और कुल बचत देखी जा सकती है।
होम लोन पर बचत केवल ब्याज दर घटने से नहीं होती, बल्कि आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग का भी असर पड़ता है। यदि आप शुरू से ही EMI को स्थिर रखते हैं, समय-समय पर प्री-पेमेंट करते हैं और लोन की अवधि कम करने का प्रयास करते हैं, तो यह कर्ज एक बोझ नहीं बल्कि एक समझदारी भरा निवेश बन सकता है।