अमेरिका-भारत व्यापार विवाद: व्हाइट हाउस ने भारत के ऊंचे टैरिफ पर जताई नाराजगी
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव
भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंधों में एक नया विवाद उभरकर सामने आया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट ने भारत द्वारा अमेरिकी शराब और कृषि उत्पादों पर लगाए गए उच्च टैरिफ के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व्यापार में पारस्परिकता को महत्व देते हैं और निष्पक्ष व्यापार नीति की आवश्यकता है।
व्हाइट हाउस की आलोचना
व्हाइट हाउस ने भारत और जापान द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए ऊंचे आयात शुल्क की आलोचना की है। प्रेस ब्रीफिंग में, लेविट ने भारत पर अमेरिकी शराब पर 150% और कृषि उत्पादों पर 100% टैरिफ लगाने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि इससे अमेरिका के व्यवसायों और श्रमिकों को गंभीर नुकसान हो रहा है।
भारत पर आरोप
प्रेस सचिव ने कहा कि भारत की उच्च टैरिफ नीति अमेरिकी उत्पादों के निर्यात में बाधा उत्पन्न कर रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, "अगर भारत में अमेरिकी शराब पर 150% टैरिफ लगाया जाएगा, तो क्या इससे केंटकी बोरबॉन का निर्यात बढ़ेगा? बिल्कुल नहीं।" इसी तरह, भारत ने अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 100% शुल्क लगाया है, जिससे अमेरिकी किसान प्रभावित हो रहे हैं।
जापान का भी जिक्र
व्हाइट हाउस ने जापान के 700% टैरिफ का भी उल्लेख किया, जो उसने अमेरिकी चावल पर लगाया है। अमेरिका का कहना है कि ये ऊंचे टैरिफ वैश्विक व्यापार के लिए उचित नहीं हैं और इन्हें जल्द से जल्द कम किया जाना चाहिए।
कनाडा पर भी निशाना
अमेरिकी प्रशासन ने कनाडा पर भी ऊंचे टैरिफ लगाने का आरोप लगाया है। प्रेस सचिव ने कहा कि कनाडा दशकों से अमेरिका का आर्थिक शोषण कर रहा है। उन्होंने बताया कि, "कनाडा अमेरिकी पनीर और मक्खन पर लगभग 300% टैरिफ लगा रहा है। क्या यह न्यायसंगत व्यापार है?"
भारत ने टैरिफ में कमी के संकेत दिए
अमेरिका के दबाव के बाद, भारत सरकार ने बोरबॉन व्हिस्की के आयात शुल्क को 150% से घटाकर 100% कर दिया है। इसके अलावा, कई प्रकार की वाइन पर भी टैरिफ कम किया गया है। हालांकि, भारत ने अभी भी 50% बेसिक कस्टम ड्यूटी और 50% कृषि उपकर जारी रखा है।
डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी
डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि यदि स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो अमेरिका भारत, कनाडा और अन्य देशों पर टैरिफ बढ़ाने से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने कहा, "दशकों से वैश्विक शक्तियां अमेरिका का आर्थिक शोषण कर रही हैं। अब हम अपना हक वापस ले रहे हैं और अमेरिका के व्यवसायों को प्राथमिकता दे रहे हैं।"