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इजरायल में बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ असंतोष: क्या होगा उनका भविष्य?

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ असंतोष की लहर उठ रही है, जिसमें लगभग 75% नागरिक उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। हाल के सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि इजरायल के लोग नेतन्याहू की जिम्मेदारी को लेकर चिंतित हैं, खासकर 7 अक्टूबर के हमलों के बाद। विरोध प्रदर्शनों में 'प्राइम मिनिस्टर नहीं, क्राइम मिनिस्टर' जैसे नारे सुनाई दे रहे हैं। क्या नेतन्याहू इन बढ़ते दबावों के बीच अपने पद पर बने रहेंगे? जानें इस लेख में।
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इजरायल में असंतोष की लहर

इजरायल में उथल-पुथल: इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के प्रति देश में असंतोष बढ़ता जा रहा है। हाल ही में एक सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि लगभग 75% इजरायली नागरिक उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, विशेषकर 7 अक्टूबर, 2023 को हुए हमलों के बाद। यह सर्वे इजरायल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट द्वारा किया गया था, जिसमें नागरिकों की राय ली गई थी।


सर्वेक्षण में जनता की राय

इजरायल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट के मासिक सर्वे के अनुसार, लगभग 48% लोग मानते हैं कि नेतन्याहू को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए, जबकि 24.5% का कहना है कि गाजा युद्ध समाप्त होने के बाद उन्हें इस्तीफा देना चाहिए। 14.5% लोग मानते हैं कि नेतन्याहू बिना इस्तीफा दिए गाजा से निपटने की जिम्मेदारी निभा सकते हैं। कुल मिलाकर, 72.5% लोग यही चाहते हैं कि नेतन्याहू या तो अभी इस्तीफा दें या फिर युद्ध के बाद इस्तीफा दें।


विरोध प्रदर्शन की शुरुआत

"प्राइम मिनिस्टर नहीं, क्राइम मिनिस्टर" के पोस्टर: इस सर्वे के बाद इजरायल में राजनीतिक हलचल और तेज हो गई है। देश में लोगों ने प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ "प्राइम मिनिस्टर नहीं, क्राइम मिनिस्टर" के पोस्टर लेकर विरोध प्रदर्शन भी शुरू कर दिए हैं। यह सब 7 अक्टूबर की घटना के बाद शुरू हुआ, जब इजरायली नागरिकों ने नेतन्याहू को इसकी जिम्मेदारी देते हुए इस्तीफे की मांग की।


यहूदियों और अरबों की राय

जब हम यहूदियों और अरबों की राय की बात करें, तो 45% यहूदी उत्तरदाताओं का मानना है कि नेतन्याहू को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। वहीं अरबों में यह प्रतिशत और भी ज्यादा है, लगभग 59% अरबों का कहना है कि नेतन्याहू को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। यहूदी और अरब समुदाय के बीच यह अंतर साफ तौर पर देखा जा सकता है।


गाजा युद्ध पर चर्चा

इसके अलावा, सर्वे में यह भी सामने आया कि 73% उत्तरदाता गाजा युद्ध में युद्धविराम और बंधक वापसी समझौते के दूसरे चरण में आगे बढ़ने के पक्ष में हैं। इस समझौते के अंतर्गत दुश्मनी की समाप्ति, गाजा से वापसी और सभी बंधकों की रिहाई शामिल है। यह समझौता फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई को लेकर भी चर्चा में है। दिलचस्प बात यह है कि नेतन्याहू की अपनी लिकुड पार्टी के 61.5% मतदाता भी इस समझौते को आगे बढ़ाने के पक्ष में हैं।


नेतन्याहू पर बढ़ता दबाव

नेतन्याहू पर बढ़ते दबाव: सर्वे में जितना असंतोष दिखा है, उससे यह साफ होता है कि नेतन्याहू पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता जा रहा है। इजरायल में उनका समर्थन अब पहले जैसा नहीं रहा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह असंतोष आने वाले चुनावों में उनके लिए चुनौती बन सकता है। इस सर्वे और प्रदर्शनों से यह साबित होता है कि इजरायल की जनता अब प्रधानमंत्री नेतन्याहू से बदलाव की उम्मीद रखती है। सवाल यह है कि क्या नेतन्याहू इन बढ़ते विरोधों और असंतोष के बीच अपना पद छोड़ेंगे या फिर इस दबाव का सामना करेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा।