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केरल में नशे की समस्या: क्या राज्य पंजाब को भी पीछे छोड़ देगा?

केरल में नशे की समस्या अब गंभीर रूप ले चुकी है, जिससे राज्य की स्थिति चिंताजनक हो गई है। नशीली दवाओं का उपयोग स्कूलों और कॉलेजों में बढ़ रहा है, और इसके साथ ही नशे से प्रेरित हिंसा की घटनाएं भी बढ़ी हैं। पुलिस के लिए ड्रग तस्करों को पकड़ना मुश्किल हो गया है, और विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को इस संकट से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। जानें इस गंभीर मुद्दे के बारे में अधिक जानकारी।
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केरल में नशे की बढ़ती समस्या

 

Drug Addicts Case in Kerala: केरल, जो पहले नशे के दुरुपयोग से मुक्त माना जाता था, अब गंभीर नशे की समस्या का सामना कर रहा है। राज्य की स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि यह पंजाब को भी पीछे छोड़ सकता है। नशीली दवाओं से प्रेरित हिंसा में भी भारी वृद्धि हुई है, जिसका असर स्कूलों और परिवारों पर पड़ रहा है।

 

 

स्कूलों में नशे का बढ़ता प्रभाव

केरल उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति वी.जी. अरुण ने बताया कि यह मुद्दा राज्य की विधानसभा का ध्यान आकर्षित कर चुका है और अब यह स्कूलों तक पहुंच चुका है, जो पहले किसी ने नहीं सोचा था। स्कूलों और कॉलेजों में नशीली दवाओं का उपयोग बढ़ रहा है, जिससे बच्चों और युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। एक दशक पहले भांग मुख्य पदार्थ था, लेकिन अब सिंथेटिक ड्रग्स जैसे एमडीएमए और क्रिस्टल मेथ का उपयोग बढ़ गया है।

 

सिंथेटिक ड्रग्स की उपलब्धता

सिंथेटिक ड्रग्स के सेवन में तेजी से वृद्धि हो रही है और ये अब आसानी से उपलब्ध हैं। पुलिस के अनुसार, केरल में ड्रग तस्करी के लगभग 1,300 ब्लैकस्पॉट हैं, और तस्करों का नेटवर्क डार्क वेब और क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करके काम करता है। केरल के तटरेखा क्षेत्र का 590 किलोमीटर लंबा विस्तार इसे ड्रग तस्करी के लिए संवेदनशील बनाता है।

 

पुलिस की चुनौतियाँ

ड्रग तस्करों को पकड़ने में पुलिस की विफलता

अब ड्रग्स न केवल आसानी से मिलते हैं, बल्कि सुपरबाइक और डिलीवरी नेटवर्क के माध्यम से तेजी से पहुंचाए जाते हैं। क्यूआर कोड और नकली नंबर प्लेटों का उपयोग इन लेन-देन को छुपाने के लिए किया जाता है, जिससे पुलिस के लिए इन्हें पकड़ना मुश्किल हो गया है। विपक्ष और विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को इस संकट से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।

 

नशे से प्रेरित हिंसा

नशा से केरल में बढ़ी हिंसा

नशीली दवाओं के बढ़ते मामलों के साथ-साथ नशे की लत से प्रेरित हिंसा भी बढ़ी है। हाल में केरल में कई भयावह घटनाएं घटीं, जैसे एक बेटे ने अपनी मां को मार डाला और एक बेटे ने अपने पिता पर हमला किया। इसके अलावा, छात्रों द्वारा शिक्षकों और पुलिस अधिकारियों पर भी हमले के मामले सामने आए हैं। नशीली दवाओं के दुरुपयोग ने परिवारों को तबाह कर दिया है, और कई परिवार आत्महत्या तक करने को मजबूर हो गए हैं।

 

संगठित ड्रग नेटवर्क के खिलाफ लड़ाई

केरल में संगठित ड्रग नेटवर्क को कमजोर करने की जरूरत

संगठित ड्रग नेटवर्क के प्रभाव और उच्चतम स्तर पर बढ़ते अपराधों के बीच, केरल में नशे की लत से लड़ाई और भी कठिन हो गई है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इसे अत्यंत गंभीर समस्या करार देते हुए कहा कि राज्य में नशीली दवाओं के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई की आवश्यकता है। हाल ही में, राज्य में नशीली दवाओं से संबंधित मौतों और घातक घटनाओं की संख्या बढ़ी है, और ये समस्याएं अब एक गंभीर सामाजिक संकट का रूप ले चुकी हैं।