क्या होली और जुमे की नमाज के बीच विवाद बढ़ रहा है? जानें क्या है मामला
होली और जुमे की नमाज पर विवाद
Holi and Juma Ki Namaz: यूपी के संभल जिले के सीओ अनुज चौधरी का बयान होली और जुमे की नमाज को लेकर चर्चा में है। उन्होंने कहा कि जो मुसलमान होली के रंगों से असहज महसूस करते हैं, उन्हें घर पर रहकर जुमे की नमाज अदा करनी चाहिए। इस बयान के बाद देशभर में होली और रमजान के जुमे को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं आईं। कुछ नेताओं ने इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बताया, जबकि कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस पहल का समर्थन किया और जुमे की नमाज का समय बदलने की बात की।
उदाहरण के लिए, लखनऊ में ईदगाह मस्जिद के इमाम ने घोषणा की कि 14 मार्च को जुमे की नमाज का समय दोपहर 12:45 बजे के बजाय 2 बजे होगा। इस तरह की पहल से यह संदेश जाता है कि धार्मिक सौहार्द और भाईचारा बनाए रखने के लिए दोनों समुदायों को एक-दूसरे के त्योहारों का सम्मान करना चाहिए। ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष ने भी इमामों से अपील की कि वे जुमे की नमाज का समय थोड़ा बदलें ताकि होली के उत्सव में कोई विघ्न न हो।
सियासी दलों की भूमिका
सियासी दल मामले को दे रहे तूल
हालांकि, राजनीतिक दल इस विवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में सत्तारूढ़ नेताओं ने इसे राजनीतिक रंग दे दिया है। कुछ नेताओं का कहना है कि अगर मुसलमानों को होली के रंगों से समस्या है, तो उन्हें अलग अस्पताल वॉर्ड या बुरका पहनने का सुझाव दिया गया। इस प्रकार की बयानबाजी से साम्प्रदायिक माहौल में और तनाव बढ़ता है।
बिहार विधानसभा चुनाव का संदर्भ
बिहार विधानसभा चुनाव पर नजर
यह सब कुछ विशेष रूप से बिहार विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए हो रहा है। राजनीतिक दलों के लिए यह एक अवसर है अपने कोर वोटबैंक को एकजुट करने का, चाहे इसके लिए सामाजिक सौहार्द को नुकसान ही क्यों न हो।
भाईचारे का संदेश
भाईचारे के त्योहार पर मचा घमासान
असल में, होली और रमजान दोनों ही भाईचारे के त्योहार हैं। यदि दोनों समुदाय एक-दूसरे के त्योहारों में हिस्सा लें तो यह देश के लिए एक मजबूत उदाहरण हो सकता है। लेकिन हमारे देश में यह आदत नहीं बन पाई कि हिंदू और मुसलमान एक साथ मिलकर अपने त्योहार मनाएं। धार्मिक कट्टरता और सियासत इस सौहार्दपूर्ण स्थिति में बाधा डालती है।