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चीन का रक्षा बजट: अमेरिका और रूस के विपरीत बढ़ा 249 अरब डॉलर

चीन ने अपने रक्षा बजट में 249 अरब डॉलर की वृद्धि की है, जो इसे अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट बनाता है। इस निर्णय के पीछे चीन का तर्क है कि उसकी सेना को राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि अमेरिका और रूस ने अपने रक्षा बजट में कटौती करने का निर्णय लिया है, चीन ने इसके विपरीत अपने बजट को बढ़ाने का फैसला किया है। जानिए इस मुद्दे पर ट्रंप और पुतिन की राय क्या है।
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चीन ने बढ़ाया रक्षा बजट

चीन का नया रक्षा बजट: चीन ने अपने रक्षा बजट में 249 अरब डॉलर की वृद्धि की घोषणा की है, जिससे यह विश्व में अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट बन गया है। चीनी रक्षा प्रवक्ता वू कियान के अनुसार, चीनी सेना को राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यह तब हुआ है जब अमेरिका और रूस ने अपने रक्षा बजट में कटौती करने पर सहमति जताई है।


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार अन्य शक्तियों से आग्रह किया है कि वे अपने रक्षा बजट में 50 प्रतिशत तक की कमी करें, ताकि देश के करदाताओं का पैसा बचाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि बड़े देशों को अपने रक्षा खर्च में कटौती करनी चाहिए, ताकि वे अन्य देशों की सुरक्षा पर खर्च करने से बच सकें। इसके विपरीत, चीन ने अपने रक्षा बजट को बढ़ाने का निर्णय लिया है। चीनी प्रधानमंत्री ली च्यांग ने संसद में यह घोषणा की कि उनका देश अब अपने रक्षा बजट को 249 अरब डॉलर तक बढ़ाएगा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 7 प्रतिशत अधिक है।


चीन का तर्क और बजट का उपयोग

बजट बढ़ाने का कारण:


चीन का कहना है कि उसकी सेना को राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। चीनी रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि इस बढ़े हुए बजट का उपयोग न्यू-डोमेन फोर्सेज, नई पीढ़ी के लड़ाकू कौशल और संयुक्त हमलों की तैयारी के लिए किया जाएगा। पिछले वर्ष, चीन ने अपने रक्षा बजट में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि की थी, जो लगभग 232 अरब डॉलर था। यह ध्यान देने योग्य है कि चीन का रक्षा बजट भारत के रक्षा बजट से तीन गुना अधिक है, जो भारतीय बजट पर दबाव बना रहा है।


ट्रंप और पुतिन की सहमति

ट्रंप की अपील:


डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार कहा है कि अमेरिका को अपने रक्षा बजट में कमी करनी चाहिए और नाटो तथा संयुक्त राष्ट्र जैसे समूहों से बाहर निकलने का इरादा भी जताया है। उनका मानना है कि अमेरिका का रक्षा खर्च बहुत अधिक है और यह अन्य देशों की सुरक्षा पर खर्च किया जा रहा है। ट्रंप के विचारों से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी सहमत हैं, जिन्होंने कहा कि बड़े देशों को अपने रक्षा बजट में कटौती करनी चाहिए। हालांकि, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस पर असहमति जताई और चीन के रक्षा बजट को बढ़ाने का निर्णय लिया।