पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर IMF की मदद: क्या बदलाव आएगा?

पाकिस्तान की आर्थिक संकट की नई परतें
पाकिस्तान संकट: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति एक बार फिर से वैश्विक स्तर पर उजागर हुई है। भारत की प्रतिक्रिया के बाद, पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से सहायता की मांग की, जिसके परिणामस्वरूप IMF ने 1 अरब डॉलर की किस्त जारी करने की स्वीकृति दी। यह राशि मौजूदा एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी के अंतर्गत दी गई है। लेकिन यह सवाल उठता है कि इतने वर्षों के कर्ज के बावजूद पाकिस्तान की स्थिति में कोई सुधार क्यों नहीं हुआ?
IMF से 25 बार लिया गया लोन, फिर भी भुखमरी का सामना
पाकिस्तान ने 1958 से अब तक IMF से 25 विभिन्न लोन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। पहले बेलआउट पैकेज के तहत उसने 30 मिलियन डॉलर का कर्ज लिया था। IMF के आंकड़ों के अनुसार, कुल 44.57 अरब डॉलर की सहायता स्वीकृत की गई है, जिसमें से 28.2 अरब डॉलर पाकिस्तान को मिल चुके हैं। इसके बावजूद, देश की अर्थव्यवस्था अस्थिर बनी हुई है।
भारत का आरोप: आतंकवाद को मिलती है मदद
IMF के इस निर्णय की भारत और अन्य देशों द्वारा आलोचना की जा रही है। भारत का कहना है, 'पाकिस्तान को मिलने वाला धन उसकी खुफिया एजेंसियों और आतंकवादी संगठनों, जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद, के पास जाता है, जो भारत पर हमले करते हैं।' इसके बावजूद, IMF ने फिर से सहायता का हाथ बढ़ाया है।
कर्ज में वृद्धि, रिजर्व में कमी, महंगाई और भुखमरी की स्थिति
- पाकिस्तान पर कुल विदेशी कर्ज 130 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो उसकी जीडीपी का लगभग 42% है।
- विदेशी मुद्रा भंडार केवल 15 अरब डॉलर रह गया है।
- गरीबी दर 40.5% तक बढ़ चुकी है।
- 2024 में औसत महंगाई दर 24% रही।
- 2023 में युवा बेरोजगारी दर 9.7% तक पहुंच गई।
- पाकिस्तान ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2024 में 127 देशों में 109वें स्थान पर है।
क्या नई सहायता से कुछ बदलाव आएगा?
हालांकि, इतिहास बताता है कि पाकिस्तान को IMF, वर्ल्ड बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसी संस्थाओं से अरबों डॉलर की सहायता मिली है, फिर भी उसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। 2024 में मिलने वाले 7.19 अरब डॉलर के लोन में से यह ताजा किस्त केवल एक हिस्सा है। Moody's जैसी रेटिंग एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान की स्थिति किसी भी युद्ध का सामना करने के लिए सक्षम नहीं है।