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पुलवामा हमले में पाकिस्तान की भूमिका का खुलासा: वायुसेना अधिकारी का बयान

14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले ने भारत को झकझोर दिया था, जिसमें 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे। अब, पाकिस्तान वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस हमले में अपने देश की भूमिका को स्वीकार किया है, जिसे उन्होंने 'सैन्य चालाकी' बताया। यह बयान न केवल पाकिस्तान की पुरानी कहानी को खारिज करता है, बल्कि हालिया हमलों में उसकी संदिग्ध भूमिका पर भी सवाल उठाता है। जानिए इस मामले में और क्या कहा गया है और इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या प्रभाव पड़ा है।
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पुलवामा हमले में पाकिस्तान की भूमिका का खुलासा: वायुसेना अधिकारी का बयान

पुलवामा हमले का काला अध्याय

14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुआ आतंकी हमला भारत के लिए एक दुखद घटना है। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। वर्षों तक पाकिस्तान ने इस हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार किया। लेकिन अब, छह साल बाद, पाकिस्तान वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस हमले में अपने देश की भूमिका को न केवल स्वीकार किया, बल्कि इसे 'सैन्य चालाकी' की एक मिसाल भी बताया। यह बयान न केवल पुलवामा हमले के बारे में पाकिस्तान की पुरानी कहानी को नकारता है, बल्कि हाल ही में हुए पहलगाम हमले में भी उसकी संदिग्ध भूमिका पर सवाल उठाता है.


पाकिस्तान वायुसेना का बयान

पाकिस्तान वायुसेना के एयर वाइस मार्शल और DGPR औरंगजेब अहमद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलवामा हमले को 'टैक्टिकल ब्रिलियंस' बताया। इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न की हैं। औरंगजेब के इस दावे ने पाकिस्तान की वर्षों पुरानी नीति को उजागर किया है, जिसमें वह आतंकवादी गतिविधियों में अपनी संलिप्तता को छिपाता रहा है। उनके इस बयान ने न केवल भारत के साथ तनाव को बढ़ाया है, बल्कि वैश्विक समुदाय के सामने पाकिस्तान की दोहरी नीतियों को भी उजागर किया है.


जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर भारतीय वायुसेना का हमला

पुलवामा हमला जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठन की करतूत थी, जिसे भारत ने हमेशा पाकिस्तान समर्थित बताया है। इस हमले के बाद, भारत ने 26 फरवरी 2019 को बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर हवाई हमला किया, जिसमें भारतीय वायुसेना ने आतंकवादी संगठनों को भारी नुकसान पहुँचाया। पाकिस्तान ने इस हमले में शामिल होने से लगातार इनकार किया, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर ने 40 सीआरपीएफ जवानों की जान ली थी।


पाकिस्तान का इनकार और सबूतों की मांग

पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस हमले को 'गंभीर चिंता का विषय' बताया, लेकिन हमले में अपनी सेना की भूमिका से इनकार किया। जैश-ए-मोहम्मद द्वारा हमले की जिम्मेदारी लेने के बावजूद, पाकिस्तान ने सबूत मांगे और भारत के आरोपों को नकार दिया। भारत द्वारा हमलावर आदिल अहमद डार को जैश-ए-मोहम्मद से जोड़ने वाले डोजियर के बावजूद पाकिस्तान का इनकार जारी रहा, जिसका मुख्यालय बहावलपुर में सुभान अल्लाह कैंप है, जिसे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय हमलों में नष्ट कर दिया गया था.