भारत और चीन के बीच NSA डोभाल की महत्वपूर्ण बातचीत

भारत-चीन वार्ता का मुख्य विषय
बीजिंग: हाल ही में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच एक महत्वपूर्ण टेलीफोनिक संवाद हुआ। इस बातचीत का केंद्र बिंदु भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और क्षेत्रीय स्थिरता की आवश्यकता थी।
आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम
डोभाल ने इस बातचीत में स्पष्ट किया कि “युद्ध भारत का विकल्प नहीं है,” लेकिन 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत को आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने पड़े। इस हमले में भारतीय सुरक्षा बलों को भारी नुकसान हुआ था।
चीन की प्रतिक्रिया
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की और इसे एक निंदनीय आतंकवादी कृत्य बताया। उन्होंने कहा कि चीन सभी प्रकार के आतंकवाद का विरोध करता है और आशा करता है कि भारत और पाकिस्तान इस स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएंगे।
सैन्य टकराव और युद्धविराम
भारत और पाकिस्तान के बीच 7 मई को हुए सैन्य टकराव और उसके बाद 10 मई को घोषित युद्धविराम के संदर्भ में, वांग ने इसे सराहनीय कदम बताया और कहा कि इससे क्षेत्रीय तनाव में कमी आई है। दोनों देशों ने सभी प्रकार की सैन्य कार्रवाइयों को तुरंत रोकने पर सहमति जताई थी।
भारत की स्थिति
NSA डोभाल ने वांग को बताया कि पहलगाम हमले के बाद भारत को आतंक के खिलाफ कदम उठाना आवश्यक था, क्योंकि इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत बातचीत का पक्षधर है, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
क्षेत्रीय शांति की आवश्यकता
वांग ने बातचीत में कहा कि भारत और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के बीच दूरी नहीं होनी चाहिए, और दोनों चीन के भी पड़ोसी हैं। इसलिए क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा, “दुनिया इस समय बड़े परिवर्तन और उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है, ऐसे में एशिया में शांति को संजोना चाहिए।”
चीन का समर्थन
चीन ने यह स्पष्ट किया कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के माध्यम से व्यापक और स्थायी युद्धविराम का समर्थन करता है, जो न केवल दोनों देशों बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हित में भी है।