भारत की सैन्य कार्रवाई: पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और देश की एकता

भारत की सैन्य कार्रवाई का संदर्भ
यह स्पष्ट नहीं है कि भारत सरकार ने यह स्थिति कैसे देखी थी कि पाकिस्तान आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करने के बाद इतनी तीव्र प्रतिक्रिया देगा, जिससे युद्ध का खतरा उत्पन्न हो सकता है। संभवतः भारत ने सोचा था कि 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के एयर स्ट्राइक की तरह, इस बार भी पाकिस्तान चुप रहेगा और मामला ठंडा हो जाएगा। लेकिन इस बार स्थिति भिन्न है। यह सवाल उठता है कि पहले दो मौकों पर चुप रहने वाला पाकिस्तान इस बार क्यों विवाद बढ़ा रहा है। ध्यान देने योग्य है कि पहले दो मौकों पर भारत की कार्रवाई पर सवाल उठे थे और पाकिस्तान ने यह भी कहा था कि उसे कोई नुकसान नहीं हुआ।
सैन्य कार्रवाई का विस्तार
हालांकि, इस बार भारत ने आतंकवाद के ढांचे को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। भारत ने केवल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में ही नहीं, बल्कि मुख्य पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भी सैन्य कार्रवाई की। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भी इसी प्रांत से हैं। भारत की सेना ने 6 और 7 मई की रात को बहावलपुर, स्यालकोट और मुरीदके में लक्षित हमले किए, जिसमें आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविर को नष्ट किया गया।
ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव
इसके बाद, 7 मई की सुबह जब इस कार्रवाई के दृश्य सामने आए और विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई, तो देशवासियों में गर्व का अनुभव हुआ कि उनकी सरकार और सेना ने पहलगाम में 26 हिंदुओं की हत्या का बदला लिया। इस सैन्य अभियान का नाम 'ऑपरेशन सिंदूर' रखा गया है। हालांकि कुछ नारीवादी कार्यकर्ता इसे महिलाओं के लिए अपमानजनक मानते हैं, लेकिन इसे व्यापक रूप से सराहा गया है। महिलाओं के बीच इसकी भावनात्मक अपील बनी है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो अपने पतियों की हत्या के शिकार हुई थीं।
राजनीतिक एकता और समर्थन
पहलगाम की घटना के बाद देश में एक समान धारणा बनी। किसी भी विपक्षी पार्टी, बड़े मुस्लिम नेता या मानवाधिकार कार्यकर्ता ने इस पर सवाल नहीं उठाया। सभी राजनीतिक दलों ने एक स्वर में कहा कि वे सरकार के साथ हैं और कार्रवाई की आवश्यकता है। 22 अप्रैल को हुए नरसंहार के बाद, 24 अप्रैल को दिल्ली में सर्वदलीय बैठक हुई, जिसमें सभी दलों ने सरकार को समर्थन दिया। इस बार विपक्ष ने सरकार का समर्थन किया, जिससे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का नैरेटरिव मजबूत हुआ।
सैन्य कार्रवाई का जश्न
जब सेना ने बताया कि उसने चुनिंदा कार्रवाई की और जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के ठिकानों को नष्ट किया, तो पूरे देश ने इसका जश्न मनाया। भारत में जोश का एक कारण यह भी था कि पाकिस्तान से आतंकवादियों के जनाजे के दृश्य सामने आने लगे। मसूद अजहर का वीडियो आया जिसमें उसके परिवार के 10 सदस्य मारे गए थे। इन सबका मिलाजुला असर यह हुआ कि भारत में यह धारणा बनी कि इस बार भारतीय सेना ने पाकिस्तान और आतंकवादियों को एक सबक सिखाया है।