भारत के पोखरण में ऑपरेशन शक्ति: 27 साल पहले की ऐतिहासिक घटना

भारत की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण दिन
आज का दिन भारत की सुरक्षा और सामर्थ्य के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। दरअसल, 27 वर्ष पहले, राजस्थान के जैसलमेर जिले के पोखरण में ऑपरेशन शक्ति का परीक्षण किया गया था, जिसने भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र बना दिया। इस परीक्षण ने पोखरण को वैश्विक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। इस ऑपरेशन के तहत पोखरण में तीन बार परमाणु बम का परीक्षण किया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि आज भी उन्हें उन धमाकों की गूंज सुनाई देती है। आइए जानते हैं ऑपरेशन शक्ति की पूरी कहानी...
परमाणु परीक्षण की शुरुआत
ऑपरेशन शक्ति की शुरुआत 1998 में हुई, जब अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। उन्होंने दिल्ली में एक गुप्त बैठक आयोजित की, जिसमें उन्होंने एटॉमिक एनर्जी के प्रमुख डॉ. आर. चिदंबरम, एनएसए ब्रजेश पाठक और डीआरडीओ के प्रमुख ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को शामिल किया। इस बैठक के बाद अटल सरकार ने परमाणु परीक्षण की अनुमति दे दी।
तीन सफल परमाणु परीक्षण
11 मई 1998 को, अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने पोखरण में एक के बाद एक तीन परमाणु परीक्षण किए। इस कदम ने पूरी दुनिया को चौंका दिया। इस ऑपरेशन को इस तरह से अंजाम दिया गया कि किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA भारत पर चार सैटेलाइट के माध्यम से नजर रख रही थी, लेकिन भारत ने इसे सफलतापूर्वक छिपाने की योजना बनाई।
अमेरिका को धोखा देने की रणनीति
भारत ने अमेरिका की निगरानी से बचने के लिए इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। वैज्ञानिकों के नाम बदल दिए गए और उन्हें सेना की वर्दी में परीक्षण स्थल पर ले जाया गया। उन्हें ताजमहल, व्हाइट हाउस और कुंभकरण जैसे कोड नाम दिए गए। डॉ. कलाम को मेजर जनरल पृथ्वीराज का नाम दिया गया। रात के समय काम किया गया, जब अमेरिकी सैटेलाइट दूसरी दिशा में मुड़ जाते थे।
ऑपरेशन शक्ति का नामकरण
10 मई की रात को इस योजना को ऑपरेशन शक्ति नाम दिया गया। सुबह चार ट्रकों से परमाणु बमों को परीक्षण स्थल पर लाया गया। रेगिस्तान में खोदे गए कुओं में बम रखे गए और उनके ऊपर बालू के टीले बनाए गए। इसके बाद 11 मई 1998 को पोखरण के खेतोलाई गांव में भारत ने परमाणु परीक्षण किया। विस्फोट के समय एक बड़ा गड्ढा बन गया।
सरकार का आधिकारिक ऐलान
इसके बाद सरकार ने परमाणु परीक्षण का आधिकारिक ऐलान किया। 13 मई को दो और परमाणु विस्फोट किए गए, जिससे 45 किलोटन टीएनटी ऊर्जा उत्पन्न हुई। इसमें फिजन और फ्यूजन दोनों प्रकार के परीक्षण किए गए। संयुक्त राष्ट्र ने इसकी आलोचना की, लेकिन भारत को इस बात की खुशी थी कि वह एक परमाणु शक्ति बन गया। ऑपरेशन शक्ति के कारण आज भारत को शक्तिशाली देशों में गिना जाता है।