रॉबर्ट वाड्रा पर ईडी की पूछताछ: क्या है हरियाणा भूमि विवाद का सच?
रॉबर्ट वाड्रा की ईडी के समक्ष पेशी

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा ने मंगलवार को हरियाणा के एक विवादास्पद भूमि सौदे के सिलसिले में सूचना निदेशालय (ईडी) के समक्ष लगभग 6 घंटे तक पूछताछ का सामना किया। ईडी ने उन्हें बुधवार को फिर से बुलाया।
वाड्रा सुबह 11 बजे दिल्ली में ईडी कार्यालय पहुंचे और शाम 6 बजे के बाद वहां से निकले। यह कार्यालय उनके निवास से केवल 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
मीडिया से बातचीत करते हुए, वाड्रा ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वे राजनीतिक कारणों से उन्हें निशाना बना रहे हैं। उन्होंने कहा, "यह मामला लगभग 20 साल पुराना है। जब भी मैं राजनीति में कदम रखने का संकेत देता हूं या सरकारी नीतियों पर सवाल उठाता हूं, मुझे टारगेट किया जाता है।"
उन्होंने यह भी कहा कि अब तक वे 15 बार पेश हो चुके हैं और 23,000 दस्तावेज प्रस्तुत कर चुके हैं, फिर भी हर हफ्ते नए दस्तावेजों की मांग की जाती है, जिसे उन्होंने "अनुचित प्रक्रिया" करार दिया।
वाड्रा ने कहा, "मैं सभी सवालों के जवाब देने के लिए तैयार हूं, लेकिन अब इस मामले का सही निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।"
भूमि सौदे का विवाद
पूरा मामला क्या है?
यह विवाद 2007 में स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा गुरुग्राम में ओमकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 3.5 एकड़ भूमि खरीदने के सौदे से संबंधित है, जिसमें रॉबर्ट वाड्रा कंपनी के निदेशक थे। चार साल बाद, जब इमारत को मंजूरी मिली, तो यह भूमि डीएलएफ कंपनी को 58 करोड़ रुपये में बेच दी गई।
IAS अधिकारी अशोक खमका ने इस सौदे में अनियमितताओं की आशंका जताई, जिसके बाद जांच शुरू की गई। भाजपा ने इस मामले को भ्रष्टाचार से जोड़कर कांग्रेस पर हमला किया, यह आरोप लगाते हुए कि किसानों की भूमि को लाभ के लिए रॉबर्ट वाड्रा को दी गई थी।