शाहाबाद में ट्रेन हादसा: पति की मौत, रेलवे की लापरवाही पर उठे सवाल

शाहाबाद में दुखद ट्रेन हादसा
शाहाबाद में ट्रेन हादसा, पति ट्रेन से गिरा, टीटीई ने ट्रेन नहीं रोकी, सुबह ट्रैक पर मिला शव: हरियाणा के शाहाबाद मारकंडा में एक दुखद घटना ने रेलवे की संवेदनहीनता को उजागर किया है। एक महिला अपने पति को बचाने के लिए ट्रेन रुकवाने की गुहार लगाती रही,
लेकिन टीटीई ने उसकी एक न सुनी। सुबह रेलवे ट्रैक पर महिला के पति का शव मिला। यह घटना दिल दहलाने वाली है और कई सवाल खड़े करती है। आइए, इस हृदयविदारक घटना के बारे में विस्तार से जानते हैं।
अम्बाला से रांची की यात्रा में त्रासदी
रांची निवासी बद्दो कुमारी अपने पति धर्मेंद्र और तीन बेटों—शिवम, सत्यम और सूरज—के साथ चंडीगढ़ से अम्बाला बस द्वारा पहुंची थी। उनका इरादा अम्बाला कैंट से रांची के लिए मूरी एक्सप्रेस पकड़ने का था। ट्रेन रात करीब 2:50 बजे अम्बाला कैंट से रवाना हुई।
लेकिन, कुछ ही किलोमीटर की यात्रा के बाद एक भयावह हादसा हो गया। बद्दो के पति धर्मेंद्र अचानक ट्रेन से गिर गए। यह देखकर बद्दो ने शोर मचाया और ट्रेन में मौजूद टीटीई और रेलवे कर्मचारियों से मदद की गुहार लगाई।
टीटीई की संवेदनहीनता
बद्दो ने बताया कि ट्रेन में तीन टीटीई और कई रेलवे कर्मचारी मौजूद थे। उसने अपनी आपबीती सुनाकर ट्रेन रुकवाने की मिन्नतें कीं, लेकिन किसी ने उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया।
न तो ट्रेन रोकी गई और न ही तत्काल कोई कार्रवाई की गई। हताश और रोती-बिलखती बद्दो अपने बच्चों के साथ शाहाबाद रेलवे स्टेशन पर उतर गई। वहां उसने स्टेशन मास्टर रणबीर को पूरी घटना बताई और अपने पति की तलाश में मदद मांगी।
स्टेशन मास्टर का प्रयास
शाहाबाद स्टेशन मास्टर रणबीर ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। उन्होंने अम्बाला और आसपास के रेलवे अधिकारियों से संपर्क किया और हादसे की सूचना दी।
रणबीर और हेल्पर्स के प्रधान तिलकराज अग्रवाल ने पूरी कोशिश की, लेकिन काफी प्रयासों के बाद सुबह के समय अम्बाला के गांव मच्छौंडा के पास रेलवे ट्रैक पर धर्मेंद्र का शव बरामद हुआ। इस दुखद घटना ने बद्दो और उसके बच्चों को गहरे सदमे में डाल दिया।
रेलवे की लापरवाही पर सवाल
इस घटना ने रेलवे कर्मचारियों की संवेदनहीनता और लापरवाही को सामने ला दिया। जहां टीटीई और अन्य कर्मचारियों ने बद्दो की पुकार को अनसुना कर दिया,
वहीं स्टेशन मास्टर रणबीर और तिलकराज के प्रयास सराहनीय रहे। यह घटना रेलवे की आपातकालीन व्यवस्था और कर्मचारियों की जिम्मेदारी पर सवाल उठाती है। अगर समय पर ट्रेन रोकी गई होती, तो शायद धर्मेंद्र की जान बच सकती थी।
परिवार का दर्द और समाज की जिम्मेदारी
बद्दो और उसके तीन बच्चों के लिए यह हादसा एक ऐसी त्रासदी है, जिसका दर्द शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। एक मां और पत्नी की गुहार को अनसुना करना न केवल अमानवीय है,
बल्कि रेलवे की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा करता है। समाज और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
यात्रियों के लिए सलाह
रेलवे यात्रियों से अपील है कि वे ट्रेन में किसी भी आपात स्थिति में तुरंत टीटीई, स्टेशन मास्टर या रेलवे हेल्पलाइन 139 पर संपर्क करें। साथ ही, रेलवे प्रशासन को सलाह दी जाती है कि कर्मचारियों इसके अलावा, ट्रेन में आपातकालीन स्थिति में चेन-पुलिंग का उपयोग करें, लेकिन इसका दुरुपयोग न करें। बद्दो जैसी घटनाओं से बचने के लिए रेलवे को कर्मचारियों को संवेदनशीलता और आपातकालीन प्रोटोकॉल का प्रशिक्षण देना चाहिए।
यह घटना हमें मानवीय संवेदनशीलता और जिम्मेदारी की अहमियत याद दिलाती है। बद्दो और उसके परिवार के लिए न्याय और ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। ताजा अपडेट्स के लिए हमारे साथ बने रहें।