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सुप्रीम कोर्ट में आज वक्फ संशोधन विधेयक पर सुनवाई: क्या होगा मुस्लिम संपत्तियों का भविष्य?

आज सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन विधेयक पर सुनवाई होने जा रही है, जिसे लेकर कई राजनीतिक और धार्मिक संगठनों ने विरोध जताया है। इस विधेयक के अंतर्गत मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों के प्रबंधन में बदलाव किए गए हैं। याचिकाकर्ता इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन मानते हैं। कांग्रेस, AAP, और अन्य दलों ने इसके खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं। वहीं, बीजेपी शासित राज्यों ने इस कानून का समर्थन किया है। जानें इस विधेयक के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
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सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन विधेयक की सुनवाई

हाल ही में संसद द्वारा पारित वक्फ संशोधन विधेयक पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने जा रही है। इस विधेयक के खिलाफ कई राजनीतिक और धार्मिक संगठनों ने विरोध जताया है। इस कानून के अंतर्गत मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़े नियमों में बदलाव किए गए हैं।


सुनवाई का समय और प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई आज दोपहर 2 बजे मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की बेंच द्वारा की जाएगी।


संविधान का उल्लंघन

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह संशोधित कानून कई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, जिसमें समानता का अधिकार और धार्मिक प्रथाओं का पालन करने का अधिकार शामिल है।


राजनीतिक दलों का विरोध

कांग्रेस, जनता दल यूनाइटेड, आम आदमी पार्टी, DMK और CPI जैसे दलों ने इस कानून के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं। इसके अलावा, जमियत उलमा-ए-हिंद और आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे धार्मिक संगठनों ने भी इस कानून का विरोध किया है।


बीजेपी शासित राज्यों का समर्थन

बीजेपी शासित राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, महाराष्ट्र और उत्तराखंड ने इस कानून के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दिया है।


याचिकाओं में असंवैधानिकता की मांग

कई याचिकाओं में यह मांग की गई है कि इस संशोधित कानून को असंवैधानिक घोषित किया जाए। कुछ याचिकाकर्ता अदालत से यह भी चाहते हैं कि इस कानून को लागू होने से रोका जाए।


असदुद्दीन ओवैसी की आपत्ति

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस कानून को वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा को खत्म करने वाला बताया है। उनका कहना है कि अन्य धार्मिक संस्थाओं की तुलना में मुस्लिम वक्फ संपत्तियों को कम सुरक्षा मिलना भेदभावपूर्ण है।


आम आदमी पार्टी का तर्क

AAP के अमानतुल्ला खान ने अपनी याचिका में कहा कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों का समावेश संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है, क्योंकि इसका वक्फ संपत्तियों के धार्मिक प्रबंधन से कोई संबंध नहीं है।


सरकार का पक्ष

सरकार का कहना है कि यह विधेयक संपत्ति और उसके प्रबंधन से संबंधित है, न कि धर्म से। उनका तर्क है कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन ठीक से नहीं हो रहा है और इससे गरीब मुस्लिमों, महिलाओं और बच्चों की मदद नहीं हो रही, जिसे इस संशोधन से ठीक किया जाएगा।


विधेयक की समीक्षा

सरकार का कहना है कि इस विधेयक को तैयार करने के लिए बड़ी संख्या में लोगों से परामर्श लिया गया था और इसे गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों का समर्थन भी प्राप्त है। यह विधेयक संयुक्त संसदीय समिति द्वारा परखा गया था, जिसमें सदस्यगण द्वारा सुझाए गए कई संशोधन शामिल किए गए हैं।


बंगाल में विरोध प्रदर्शन

इस संशोधित कानून के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। सबसे बड़ा विरोध बंगाल में हुआ था, जहां तीन लोग मारे गए और कई लोग बेघर हो गए थे। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार इस संशोधित वक्फ कानून को लागू नहीं करेगी।