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हरियाणा के किसान ने खीरा और शिमला मिर्च की खेती से बनाई सफलता की कहानी

हरियाणा के किसान मुकेश ने खीरा और शिमला मिर्च की खेती से एक सफल कहानी बनाई है। पहले सरकारी नौकरी करने वाले मुकेश ने 2021 में खेती शुरू की और अब 8 एकड़ में ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं। उनकी मेहनत और सरकारी सब्सिडी ने उन्हें आर्थिक मजबूती दी है। जानें कैसे उन्होंने अपनी पहचान बनाई और दूसरों के लिए प्रेरणा बने।
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हरियाणा के किसान ने खीरा और शिमला मिर्च की खेती से बनाई सफलता की कहानी

हरियाणा के किसान की प्रेरणादायक यात्रा

हरियाणा के किसान मुकेश ने खीरा और शिमला मिर्च की खेती से हासिल की सफलता: सरकारी नौकरी छोड़कर बनाई नई पहचान: खीरे और शिमला मिर्च की खेती में मुकेश की सफलता ने हजारों युवाओं को प्रेरित किया है। करनाल के छपरियों गांव के निवासी मुकेश पहले बागवानी विभाग में फील्ड कंसल्टेंट थे। लेकिन 2021 में, उन्होंने 2 एकड़ भूमि पर नेट हाउस स्थापित कर खीरे की खेती शुरू की।


उन्होंने तीन फसलें लीं और मुनाफा इतना बढ़ा कि उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद, उन्होंने खेती को अपना पूरा समय देने का निर्णय लिया और आज 8 एकड़ में नेट हाउस लगाकर ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं।


ऑर्गेनिक खेती से बढ़ी आमदनी और पहचान


मुकेश ने मल्टीस्टार वैरायटी का खीरा और बचाटा व एप्रेन शंकर किस्म की शिमला मिर्च उगाकर पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे शहरों में अपनी फसलें पहुंचाई हैं। वे केंचुआ खाद खुद तैयार करते हैं और रासायनिक दवाओं का उपयोग नहीं करते।


उनकी खेती पूरी तरह से ऑर्गेनिक है, जिससे न केवल गुणवत्ता बनी रहती है, बल्कि बाजार में मांग भी अधिक रहती है। आज वे एक प्रगतिशील किसान के रूप में जाने जाते हैं और 24 से अधिक लोगों को रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं।


सरकारी सब्सिडी से मिली आर्थिक मजबूती


खेती में सफलता का एक महत्वपूर्ण कारण सरकार की सब्सिडी योजना भी है। 2021 में 2 एकड़ में नेट हाउस लगाने पर उन्हें 65% सब्सिडी मिली। 2023-24 में 6 एकड़ में नेट हाउस लगाने पर 50% सब्सिडी मिली। एक एकड़ में 550 से 750 क्विंटल तक खीरे का उत्पादन होता है।


एक वर्ष में तीन बार फसल ली जा सकती है, जिससे खीरे से ₹10 लाख और शिमला मिर्च से ₹7–10 लाख तक की आमदनी हो जाती है। यह मॉडल खेती को लाभकारी और टिकाऊ बनाता है।