13 जुलाई: मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों का इतिहास

13 जुलाई का ऐतिहासिक महत्व
आज 13 जुलाई को एक महत्वपूर्ण घटना की याद दिलाई जाती है, जिसे 'भारत के दिल' पर आतंकवादी हमला कहा गया था। 14 वर्ष पूर्व, 2011 में, मुंबई में ओपेरा हाउस, झवेरी बाजार और दादर पश्चिम में तीन बम विस्फोट हुए थे। इन धमाकों में 26 लोगों की जान गई और 100 से अधिक लोग घायल हुए। तीनों बम धमाके मात्र 12 मिनट के भीतर हुए थे। यह हमला 26 नवंबर 2008 के मुंबई हमले के बाद का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला माना गया। उस समय के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने इसे 'भारत के दिल' पर हमला करार दिया था। इस हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने मिलकर की थी। विस्फोटों में IED का उपयोग किया गया था। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि इस हमले की साजिश आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (IM) के सह-संस्थापक यासीन भटकल ने रची थी।
धमाकों का स्थान और तरीका
पहला धमाका झवेरी बाजार में हुआ, जो कि शहर की सबसे व्यस्त ज्वेलरी मार्केट है। यहां खाऊ गली में एक बाइक में बम रखा गया था। दूसरा धमाका ओपेरा हाउस के डायमंड बिजनेस सेंटर में हुआ, जहां एक टिफिन बॉक्स बम का इस्तेमाल किया गया। तीसरा धमाका दादर पश्चिम के कबूतर खाना जंक्शन में हुआ, जहां बस स्टैंड के पास बिजली के खंभे में बम लगाया गया था।
जांच और कार्रवाई
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने CCTV फुटेज की जांच की और सबूत इकट्ठा किए, जिसके आधार पर संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ के दौरान सुराग मिलने पर जनवरी 2012 में नकी अहमद को पकड़ा गया, जिसने हमले की साजिश में शामिल होने की बात स्वीकार की। उसकी निशानदेही पर नदीम शेख, कंवर पाठरेजा और हारून नाइक को गिरफ्तार किया गया और उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। यासीन भटकल, रियाज भटकल, वकास इब्राहिम, दानिश, तहसीन अख्तर सहित कई आरोपियों को भगोड़ा घोषित किया गया। फरवरी 2014 में यासीन भटकल को गिरफ्तार कर ATS को सौंपा गया।